देवरिया की रहने वाली 70 वर्षीय सुमित्रा देवी के तीन बेटे हैं और तीनों जिले से बाहर काम करते हैं। वह अपनी बहू नीतू के साथ सलेमपुर थानाक्षेत्र के सोहनाग रोड स्थित किराये के मकान में रहती थीं। शुक्रवार को अचानक सुमित्रा की तबियत खराब हो गई, तो बहू उन्हें एंबुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
नीतू ने अपने पति और उसके दो भाइयों से आने के लिए संपर्क किया ताकि वे अंतिम संस्कार कर सकें, लेकिन लॉकडाउन के चलते तीनों ही नहीं पहुंच पाये। आखिर में नीतू ने सलेमपुर के नगर पंचायत के अध्यक्ष जेपी मधेसिया से संपर्क साधा और सास का अंतिम संस्कार किया ।
बहू ने सास के शव को कंधा भी दिया
मधेसिया ने कहा कि नीतू एक बहादुर बेटी है और उसने ना सिर्फ सास के शव को कंधा दिया, बल्कि चिता को मुखाग्नि भी दी। उन्होंने कहा, 'मुझे उस पर गर्व है ।'
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गोरखपुर, भाषा। जानलेवा कोरोना वायरस की वजह से मानों समय के चक्र की रफ्तार भी धीमी पड़ गई है। इस वायरस ने लोगों को घरों में कैद रहने पर मजबूर कर दिया है। लॉकडाउन की वजह से सड़कें सूनी पड़ी हैं, बाजारों की रौनक गायब हो गई है। यहां तक कि कई लोग दो वक्त की रोटी के भी मोहताज हो गए हैं। वहीं, अब इस लॉकडाउन ने सदियों से चली आ रही परंपरा को भी तोड़ दिया है।
बहू ने किया सांस का अंतिम संस्कार
कोरोना के संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए लागून लॉकडाउन के बीच यूपी के गोरखपुर से सेट देवरिया जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जहां इस लॉकाडउन से सदियों से चली आ रही परंपराएं टूट गई।जहां लॉकडाउन की वजह से बेटों के घर नहीं पहुंच पाने की स्थिति में बहू ने ही सास का अंतिम संस्कार किया।
लॉकडाउन की वजह से दूसरे जिले में फंसे थे बेटे