नई दिल्ली, एबीपी गंगा। कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया संकट से जूझ रही है। कोरोना के संक्रमण की साइकिल को तोड़ने के लिए भारत में भी 21 दिन का लॉकडाउन है, जो 14 अप्रैल तक रहेगा। इस बीच रसोई गैस की सप्लाई को लेकर कई लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। इसी घबराहट में लोग गैस सिलेंडर की बुकिंग करने लगे हैं। हालांकि, सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) ने लोगों से अपील की है कि वो घबराए नहीं और इस दौरान 'पैनिक बुकिंग' बिल्कुल न करें।


15 दिन से पहले नहीं करा सकेंगे गैस सिलेंडर बुकिंग


इस बीच पैनिक बुकिंग की समस्या को रोकने के लिए आईओसी ने फैसला लिया कि अब 15 दिनों से पहले ग्राहक रसोई गैस सिलेंडर की बुकिंग नहीं करा सकेंगे। इसपर आईओसी के अध्यक्ष संजीव सिंह ने एक भी वीडियो भी जारी करते हुए लोगों को आश्वस्त किया है कि देश में रसोई गैस सिलेंडर की कोई कमी नहीं है। इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है। वहीं, गैस सिलेंडरों की सप्लाई सामान्य बनाए रखने के लिए इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने अपने प्लांट पूरी क्षमता के साथ चलाने के निर्देश जारी किए हैं।


घबराहट में न कराएं सिलेंडर बुकिंग


संजीव सिंह का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान गैस सिलेंडर वितरण की व्यवस्था भी सामान्य बनाए रखना है, लेकिन घबराहट की वजह से लोग ज्यादा सिलेंडर बुक करा रहे हैं। जिस वजह से कंपनियों ने बुकिंग सिस्टम में थोड़ा बदलाव किया है। जिसके तहत अब दूसरे सिलेंडर की बुकिंग ग्राहक कम से कम 15 दिन के बाद ही कर सकेंगे।


देश में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी का पर्याप्त स्टॉक


उन्होंने बताया कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश भारत है। उन्होंने बताया कि अगर भारत में लॉकडाउन की अवधि तीन सप्ताह से भी आगे बढ़ जाए, तब भी देश के पास पर्याप्त स्टॉक में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (LPG) है। इस दौरान सभी प्लांट्स और सप्लाई स्थान चालू हैं। ऐसे में ग्राहकों को बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। इसलिए न ही उन्हें घबराकर एलपीजी की बुकिंग करानी चाहिए और न ही कुछ भी स्टॉक करना चाहिए।


देश में 21 दिन का स्टॉक


गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है। जानकारी के मुताबिक, जिस दिन पीएम ने ये घोषणा की थी, उसी दिन आईओसी के चेयरमैन संजीव सिंह के पिता का निधन हुआ था। इसके बावजूद ईंधन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वो 24 घंटे के भीतर ही काम पर लौट आए थे।


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