वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से दुनिया की रफ्तार थम गई है। स्कूल-कॉलेज बंद, मॉल-जिम बंद, दफ्तरों में वर्क फ्रॉर्म होम कर दिया गया है। यहां तक की भगवान ने भी अपने दरवाजे आम जन के लिए बंद कर दिए हैं। इसी कोरोना के खौफ के चलते अब  वाराणसी में होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में भी बदलाव किया गया है।


अब वाराणसी में गंगा आरती का स्वरूप बदला होगा। सात ब्राह्मणों द्वारा की जाने वाली गंगा आरती अब केवल एक ब्राह्मण द्वारा की जाएगी। आरती में श्रद्धालुओं को न आने की अपील भी की जा रही है । आरती का आयोजन करने वाली गंगा सेवा निधि ने कोरोना से बचाव के क्रम में ये निर्णय लिया है। जिस वजह से अब घाट किनारे होने वाली गंगा आरती में कुछ वक्त के लिए पहले जैसी भव्यता नहीं दिखाई देगी। अगले आदेश तक गंगा आरती की भव्यता पर रोक लगा दी गयी है।


अब सात ब्राह्मणों नहीं एक ब्राह्मण करेगा गंगा आरती
अपने इतिहास में ये दूसरी बार है जब गंगा आरती सात ब्राह्मणों के बजाय एक ब्राह्मण द्वारा की जा रही है। इतना ही नहीं, आरती के समय पर्यटकों से गुलजार रहने वाले दशाश्वमेघ घाट पर भक्तों और पर्यटकों से न आने की अपील की गई है। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र की मानें तो कोरोना से बचाव के लिए ये निर्णय लिया गया है। बता दें कि इससे पहले शीतला घाट पर बम ब्लास्ट के बाद सांकेतिक आरती की गई थी।



गंगा आरती का इतिहास
काशी की भव्यता को दर्शाने के लिए 1991 में दशाश्वमेघ घाट पर स्वर्गीय पंडित सत्येंद्र मिश्र ने गंगा आरती को शुरू किया। इसके बाद साल 2007 में गंगा आरती अतुल्य भारत का हिस्सा बन गई।....अर्दली बाजार का शिव मंदिर बंद


कोरोना से बचाव के क्रम में अर्दली बाजार स्थित शिव मंदिर को भी बंद कर दिया गया है। अब बाबा के मंदिर के कपाट 31 मार्च के बाद खुलेंगे। मंदिर के मुख्य पुजारी की मानें तो मंदिर में अगर भीड़ नहीं आएगी, तो एक दूसरे का बचाव होगा और भगवान का भी बचाव होगा।


काशी विश्वनाथ मंदिर: गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर रोक
कोरोना के कारण विश्व विख्यात काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है। कोरोना के बढ़ने कहर की वजह से 31 मार्च तक कोई भी श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकेगा।


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