देहरादून: हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ को लेकर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने स्थिति स्पष्ट कर दी है. कोरोना के साए में हो रहे महाकुंभ की अवधि सरकार ने सिर्फ 1 महीने रखी है. एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक महाकुंभ का आयोजन होगा और उसके लिए कोरोना के नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा. केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से जारी किए गए एसओपी के नियमों के तहत हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होगा.


साधु-संतों ने जताई नाराजगी
कुंभ की अवधि छोटी करने पर साधु-संतों के बीच नाराजगी है. उनका यह कहना है कि सरकार नोटिफिकेशन कभी भी जारी करे लेकिन सनातन धर्म के तहत जो कुंभ की प्रक्रियाएं हैं वो साधु संत करेंगे. व्यापारियों को व्यापार चौपट होने का डर सता रहा है. व्यापारियों और गंगा सभा के प्रतिनिधियों का कहना है कि जब राशियों का संयोग होता है तभी कुंभ का आयोजन किया जाता है. वहीं, गंगा सभा के अन्य लोगों का कहना है कि सरकार को कुंभ के बारे में फिर से विचार करना चाहिए क्योंकि कुंभ देश ही नहीं दुनिया का भव्य आयोजन है. इसलिए, कुंभ को छोटा करने के बजाए भव्य रूप दिया जाना चाहिए.


सरकार कुंभ कराना ही नहीं चाहती है
सरकार द्वारा कुंभ की अवधि को सीमित करने के बाद कुंभ नगरी में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. एक तरफ व्यवसाय से जुड़े लोग कुंभ की अवधि को लेकर विरोध कर रहे हैं तो दूसरी तरफ साधु-संत भी कुंभ को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं. खुद अखाड़ा परिषद में इसको लेकर अलग-अलग राय है. धर्मनगरी हरिद्वार में भव्य और दिव्य कुंभ का नारा फीका होता नजर आ रहा है. व्यापारियों का कहना है कि सरकार कुंभ कराना ही नहीं चाहती है यही वजह है कि पहले एसओपी में कड़े नियम रखे गए और अब कुंभ की अवधि को घटाकर सिर्फ 1 महीने का कर दिया है. इससे हरिद्वार के व्यवसाय पर बड़ा असर पड़ेगा. हालांकि, व्यापारी भी कुंभ के आयोजन को लेकर अपनी नजरें अखाड़ा परिषद पर ही टिकाए बैठे हैं. उनका मानना है कि अखाड़ा परिषद सरकार से बात कर कर कुंभ के आयोजन को भव्य और दिव्य रूप दे सकता है.


व्यवस्था न होने पर भी नराज हैं संत
कोरोना की वजह से हरिद्वार में महाकुंभ को लेकर असमंजस की स्थिति लंबे समय से बनी हुई थी. लेकिन, मुख्य सचिव ओमप्रकाश के बयान के बाद अब ये माना जा रहा है कि कुंभ सिर्फ एक ही महीने का होगा. ऐसे में हरिद्वार के व्यापारियों के साथ-साथ तमाम साधु-संतों में भी नाराजगी है. हरिद्वार में महाकुंभ को लेकर एक बार फिर संतों की नाराजगी सामने आई है. इस बार ये नाराजगी कुंभ की अवधि को लेकर नहीं है बल्कि संतो के टेंट ना लगाए जाने को लेकर है. बैरागी, अग्नि अखाड़े पहले से ही सरकार से नाराज हैं और अब निर्मोही अखाड़े के संतों ने टेंट समेत अन्य व्यवस्था न करने को लेकर नाराजगी जताई है.


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