नोएडा, बलराम पांडे। कोविड-19 महामारी के इस बुरे दौर में कोरोना ना सिर्फ सामाजिक संबंधों की दूरी बना रहा है बल्कि पारिवारिक संबंधों के ताने-बाने को भी तोड़ रहा है। लोग कोरोना वायरस को मात देकर ठीक तो हुए, लेकिन लोग अभी भी उन्हें शक की निगाह से देख रहे हैं। जबकि परिवारिक रिश्ते भी कच्चे धागों की तरह टूट रहे हैं। कई करोना पीड़ितों के परिजनों ने तो उनका दाह संस्कार करने से ही इंकार कर दिया है। तो वहीं नोएडा की एक महिला कोरोना को मात देकर जब एम्स हॉस्पिटल से घर लौटीं तो उनकी बहन और भाई ने उसकी कोई भी मदद से इनकार कर दिया। एक ऐसा भी मामला देखने को मिला जहां वर्षो से काम कर रही घरेलू सहायिका कोरोना पॉज़िटिव हुई तो मालिक ने उसे अस्पताल में अकेला छोड़ दिया तो घरेलू सहायिका ने ठीक होने के बाद अपने मालिक को छोड़ दिया।


शमी को नहीं मिले चार कंधे


नोएडा के ककराला गांव स्थित कब्रिस्तान में कोरोना संक्रमित मोहम्मद शमी की मौत के बाद उसके जनाजे को दफनाने का काम मुस्लिम धर्म गुरूओं के निर्देशानुसार एसीएमओ डॉ वी बी ढ़ाका, दादरी सीएचसी प्रभारी डॉ अमित चौधरी व फार्मासिस्ट कपिल चौधरी ने पूरा किया। मोहम्मद शमी पत्नी और उसके बेटे ने उसके जनाजे को हाथ लगा ने से इंकार कर दिया था। पति की मौत का गम झेल रही पत्नी ने अपने बेटे और बेटी को कोरोना के डर से अंत समय में उनके पिता के जनाजे को हाथ लगाने से भी रोक दिया। जिनका कहना था कि कोविड-19 ने उनके पति के जीवन को लील लिया है, अब वो अपने बच्चों को नहीं खोना चाहतीं।


घर वाले ही हुये पराये


ऐसी ही घटना नोएडा की चोटपुर कॉलोनी में हुई। एक महिला को अस्थमा और पथरी की शिकायत थी। घर वाले ईएसआई अस्पताल ले गए तो वहां से जिला अस्पताल भेजकर कोरोना टेस्ट कराया गया। इस बीच महिला को एम्स में भर्ती करवा दिया गया। बाद में महिला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई तो स्वास्थ्य विभाग ने उनके दोनों बेटों और पति को क्वारंटीन सेंटर में भर्ती कर लिया। एम्स से जब महिला को डिस्चार्ज किया गया तो उनकी बहन और भाई ने मदद से इनकार कर दिया। यह जानकारी पड़ोसियों को हुई तो उन्होंने ऐम्बुलेंस कर उनकी मां को घर तक लेकर आए। फिर पड़ोस की एक महिला ने उन्हें घर में रखा। क्वारंटीन सेंटर से डिस्चार्ज होने के बाद राहुल, उनके भाई व पिता घर पहुंचे तो मां को पड़ोसी के यहां से लेकर आए।


ग्रेटर नोएडा के रहने वाले मालिक व परिवार के चार सदस्यों के घर में एक घरेलू सहायिका पिछले कई वर्षों से काम कर रही है। बीते दिनों मालिक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो परिवार के सदस्यों व घरेलू सहायिका की भी जांच की गई सभी लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। खुद के खर्च पर मालिक ने अपना व परिवार के सदस्यों का उपचार कराया लेकिन घरेलू सहायिका को वहां नहीं ले गए। देखने वाला नजारा तब बना जब घरेलू सहायिका व मालिक दोनों एक साथ अलग-अलग अस्पताल से डिस्चार्ज हुए और मालिक फिर से घरेलू सहायिका को लेने के लिए ग्रेटर नोएडा के अस्पताल पहुंच गई लेकिन घरेलू सहायिका ने दो टूक जबाब देते हुए काम करने से मना कर दिया।