प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। संगम नगरी प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस अर्जी पर फौरन सुनवाई करने से इन्कार कर दिया है, जिसमें यूपी के वकीलों को लॉकडाउन की बंदी की वजह से हो रहे नुकसान के बदले सरकार की तरफ से उचित मुआवजा व खाद्यान्न दिलाए जाने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में अर्जेंसी नहीं मानी और अर्जी को सुनवाई के लिए रेग्युलर बेंच के पास भेज दिया।


चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर की अगुवाई वाली स्पेशल बेंच ने कहा कि यह मामला अर्जेंसी वाला नहीं है। अर्जेंसी नहीं होने की वजह से इस मामले में फौरन सुनवाई कर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया जा सकता। कानपुर के वकील डा पवन कुमार तिवारी की तरफ से दाखिल अर्जी पर अब हाईकोर्ट खुलने पर ही सुनवाई होगी।


गौरतलब है कि कानपुर के वकील डा. पवन कुमार तिवारी ने 27 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ऑनलाइन अर्जी दाखिल कर यूपी के वकीलों को लॉकडाउन की बंदी के दौरान 15 से 20 हजार रुपये की आर्थिक मदद और मुफ्त में जरूरी खाद्य सामाग्री यूपी सरकार की तरफ से मुहैया कराए जाने का आदेश दिए जाने की मांग की थी। अदालत ने सोमवार को उनसे हार्ड कॉपी देने को कहा था।



चीफ जस्टिस ने इस अर्जी पर विचार करने के बाद इसे अर्जेंट नहीं माना और फौरन सुनवाई से इन्कार कर दिया। अर्जी में कहा गया था कि यूपी के तकरीबन 3 लाख वकीलों को कोई वेतन नहीं मिलता। मुकदमों की सुनवाई होने पर मिलने वाली फीस से ही उनका परिवार चलता है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं होने पर मायूसी जताते हुए अब सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल किये जाने की बात कही है।