वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। कभी जहां शवों की लंबी कतार लगती थी वहां आज सन्नाटा है। कभी जहां शवों को दाह संस्कार के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था वहां आज गाय बैठी हैं। हम बात कर रहे हैं वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट की जहां इन दिनों कोई दिखाई नहीं दे रहा। ऐसा लग रहा मानो शव भी लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं।


मोक्ष का घाट भी कर रहा लॉकडाउन का पालन
कहते हैं कि मणिकर्णिका घाट पर शव के अंतिम संस्कार मात्र से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। शायद यही वजह है कि इस महाश्मशान में 24 घण्टे चिता की आग जलती रहती थी पर अब नजारा कुछ और है। घाट के किनारे पर बैठे पशु हैं और सन्नाटा पसरा है। महाश्मशान भी लॉकडाउन का पूरा पालन कर रहा है।



पूर्वांचल सहित बिहार के शवों का होता था दाह संस्कार
मणिकर्णिका महाश्मशान पर पूर्वांचल सहित वाराणसी से सटे बिहार से सैकड़ों शवों का रोजाना यहां दाह संस्कार होता था। यहां चिता की अग्नि कभी शांत नहीं होती थी लेकिन लॉकडाउन ने इस इतिहास को भी तोड़ा है और यहां पर चिता की अग्नि शांत है। एक दो शवों का दाह संस्कार हो रहा है लेकिन घाट किनारे पूरा सन्नाटा है।



काशी कर रही लॉकडाउन का पूरा समर्थन
कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश को 21 दिन के लिए लॉकडाउन कर दिया है। जिसके बाद पूरा देश अपने घरों में कैद हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोग इस लॉकडाउन का पूरा समर्थन कर रहे हैं। वाराणसी की सड़कों पर भी सन्नाटा है और घाट किनारे भी हर ओर कोरोना से बचाव की मुहिम जारी है।