UP: विधानसभा चुनाव से पहले कोरोना ने बीजेपी के लिए खड़ी की नई चुनौतियां, योगी ने संभाला मोर्चा
2017 के चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीती थीं. मुख्य विपक्षी दल सपा 50 का आंकड़ा नहीं पार कर सकी और कांग्रेस दहाई से भी नीचे सिमट गई. बहुजन समाज पार्टी को भी 19 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमितों को उपचार मिलने में पेश आने वाली समस्याओं से आम जनता के साथ-साथ खुद बीजेपी नेताओं में भी खासा रोष है. उन्होंने इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में लोगों की नाराजगी सत्तारूढ़ दल के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं. प्रदेश के हरदोई जिले से बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने में प्रशासन की कोशिशों से संतुष्ट नहीं हैं और कहते हैं "आम लोगों की बात तो दूर, अति महत्वपूर्ण (वीआईपी) समझे जाने वाले लोगों के लिए भी व्यवस्था नहीं हो पाई.''
हरदोई जिले की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गोपामऊ विधानसभा सीट से श्याम प्रकाश 2017 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुए और उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी की राजेश्वरी को 31,387 मतों से पराजित किया था. श्याम प्रकाश इससे पहले 2012 में गोपामऊ निर्वाचन क्षेत्र से ही सपा के टिकट पर निर्वाचित हुए थे और पिछले चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था. प्रकाश ने कहा, ''कोरोना वायरस से निपटने की व्यवस्था से लोग संतुष्ट नहीं हैं. आम लोगों की छोड़िए वीआईपी की भी व्यवस्था नहीं हो पाई.''
दूसरी लहर ने राजनीतिक तौर पर बीजेपी का काफी नुकसान किया
श्याम प्रकाश अकेले जनप्रतिनिधि नहीं हैं जिन्होंने संक्रमण प्रबंधन को लेकर सरकार के प्रयासों पर इस तरह की टिप्पणी की है. अप्रैल के दूसरे सप्ताह में उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा व स्वास्थ्य) और प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) को पत्र लिखकर चिंता व्यक्त की थी. पाठक ने अपने पत्र में लिखा था, ''अत्यंत कष्ट के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि वर्तमान समय में लखनऊ जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं का अत्यंत चिंताजनक हाल है. विगत एक सप्ताह से हमारे पास पूरे लखनऊ जनपद से सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जिनको हम समुचित इलाज नहीं दे पा रहे हैं.''
केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने भी मुख्यमंत्री और सरकार के प्रमुख लोगों को पत्र लिखकर अव्यवस्था की ओर इशारा किया था. बलिया के विधायक सुरेंद्र सिंह भी कोरोना प्रबंधन को लेकर सरकार के खिलाफ असंतोष जता चुके हैं. फिरोजाबाद जिले के जसराना से बीजेपी विधायक राम गोपाल लोधी की पत्नी को उपचार के लिए आठ घंटे इंतजार करना पड़ा. वह आगरा में बेड के लिए भटकीं तो विधायक ने सरकारी तंत्र के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली. प्रदेश बीजेपी में शीर्ष स्तर पर ऐसा मानने वालों की कमी नहीं है कि कोरोना की दूसरी लहर ने राजनीतिक तौर पर पार्टी का काफी नुकसान किया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मोर्चा संभाला है
एक प्रदेश पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता ने कहा, "कुछ विधायकों व कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक तौर पर असंतोष व्यक्त किया है. कार्यकर्ताओं के बीच व्यापक स्तर पर नाराजगी है. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मोर्चा संभाला है और वह राज्य के जिलों का दौरा करके गांवों तक व्यवस्था की समीक्षा कर रहे हैं." कोरोना संक्रमण से 30 अप्रैल को उबरने के बाद योगी ने जिलों का दौरा शुरू कर जमीनी सच्चाई परखी. अब तक वह करीब 50 जिलों में कोविड प्रबंधन की समीक्षा कर चुके हैं और आगे भी उनके कार्यक्रम विभिन्न जिलों में हैं. राज्य में आधिकारिक रूप से अब तक सरकार के तीन मंत्री और पांच विधायकों समेत 18,978 संक्रमित अपनी जान गंवा चुके हैं और अब तक साढ़े 16 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं.
राज्य में अगले साल की शुरुआत (फरवरी-मार्च) में विधानसभा चुनाव होंगे. इसे देखते हुए विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने संक्रमण के प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्य की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि 'देश और प्रदेश के प्रधान (मोदी और योगी) के बीच परस्पर प्रशंसा का जो आदान-प्रदान हो रहा है उसमें जनता पिस रही है. अगर कोरोना के टीके, बेड, ऑक्सीजन की व्यवस्था में ध्यान दिया जाए तो शायद और लोगों की जान बच जाए.'
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा ''बीजेपी सरकार सच्चाई स्वीकार करने के बजाय गलत आंकड़े प्रस्तुत कर रही है. नदियों में तैरते शवों के दृश्य हर हाल में खुद को सही मानने वाले हुक्मरान के घमंड का नतीजा हैं.'' विपक्ष के हमलों के बीच सबसे ज्यादा परेशानी में बीजेपी के कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि हैं जिन्हें इस दौरान अपने अपने इलाकों में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, अस्पतालों में बेड, रेमडेसिविर आदि के अभाव से दो चार होना पड़ा है.
आजमगढ़ ज़िले के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा, ''जल्द ही विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज होगी और हम लोग उन मतदाताओं का सामना कैसे करेंगे जिनके परिजनों को बेड, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधा हम नहीं दिला पाये.'' गौरतलब है कि 2017 के चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीती थीं. मुख्य विपक्षी दल सपा 50 का आंकड़ा नहीं पार कर सकी और कांग्रेस दहाई से भी नीचे सिमट गई. बहुजन समाज पार्टी को भी 19 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा.
सरकार की छवि को नुकसान हो रहा है- बीजेपी सांसद
कोरोना के कहर में अपने परिवार के सदस्य गंवा चुके लखनऊ के मोहनलालगंज के बीजेपी सांसद कौशल किशोर ने अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था 'संबंधित संस्थानों के जिम्मेदार अधिकारी मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं जिससे सरकार की छवि को नुकसान हो रहा है.' राजधानी लखनऊ के एक वरिष्ठ बीजेपी कार्यकर्ता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं 'अब 2017 के परिणाम को दोहराना सपना है और इसे कोई चमत्कार ही वापस ला सकता है.' उन्होंने राज्य में पंचायत चुनाव का उदाहरण दिया जहां बीजेपी को दावों के विपरीत मुंह की खानी पड़ी. कार्यकर्ता ने कहा 'पंचायत चुनाव में 70 फीसद से ज्यादा मतदान प्रतिशत रहने के बावजूद बीजेपी को इतना बड़ा झटका लगा तो विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत कम होने पर स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं.'
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के लिए पिछले महीने चार चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए थे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने दावा किया है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बेहतर परिणामों के बाद अब पार्टी अधिकतर जिलों में जिला व क्षेत्र पंचायतों में बोर्ड के गठन में जुटेगी और उसे सफलता मिलेगी. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर कोरोना के प्रभाव के बारे में पूछने पर विधायक श्याम प्रकाश ने कहा, ''2022 के लिए स्थिति बहुत खराब रहेगी क्योंकि जनता में आक्रोश है.''
हालांकि बीजेपी के बांदा जिले के विधायक प्रकाश द्विवेदी कोरोना के कहर और पंचायत चुनाव में मिले परिणामों से 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को अलग बताते हैं. प्रकाश द्विवेदी ने कहा, ''पंचायत चुनाव में प्रधान, बीडीसी सदस्य और जिला पंचायत सदस्य उम्मीदवार होते हैं और सर्वाधिक प्राथमिकता ग्राम प्रधान के लिए होती है. जब गांव की राजनीति होती है तो पार्टी किनारे हो जाती है. लोग-बाग निजी संबंधों को ज्यादा तरजीह देते हैं.'' सत्तारूढ़ दल के विधायक द्विवेदी ने पत्र लिखकर पंचायत चुनाव टालने की भी मांग की थी. वह यह भी कहते हैं 'कोरोना को लेकर तात्कालिक नाराजगी जरूर रही लेकिन अब पूरी व्यवस्था नियंत्रण में है.'
विपक्ष लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा- रोशन लाल वर्मा
कोरोना के चलते बीजेपी के प्रति लोगों में अगर नाराजगी है तो 2022 के चुनाव में इसका लाभ किसे मिलेगा, इस सवाल पर शाहजहांपुर के बीजेपी विधायक रोशन लाल वर्मा ने बचते हुए कहा, ''विपक्ष को जो भूमिका निभानी चाहिए वह निभा नहीं पाया. संकट की इस घड़ी में विपक्ष लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा.'' उधर, बीजेपी के गोरखपुर क्षेत्र से पूर्व मंत्री अजय तिवारी ने कहा 'यह सही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब तक जिलों में नहीं जा रहे थे तब तक स्थिति खराब थी लेकिन अब सब कुछ नियंत्रण में है और लोगों की नाराजगी दूर हो रही है. योगी ने सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा है.'
लखनऊ स्थित राजनीतिक विश्लेषक बंशीधर मिश्र ने कहा 'कोविड-19 की दूसरी लहर में जिन घरों से लोगों की जान गई हैं उनको और उनके आसपास के लोगों के मन से यह बात कौन दूर सकता है कि उनके घर-परिवार का 'भविष्य' सरकार की अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया. 2022 के चुनाव में बीजेपी को इसका 'भुगतान' करना पड़ेगा.'
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