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आगरा नगर निगम और स्मार्ट सिटी में फिर उठा भ्रष्टाचार का जिन्न, कई वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप
आगरा नगर निगम और स्मार्ट सिटी लिमिटेड में भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला सामने आया है. जिसमें कई बड़े अधिकारियों को लपेटा गया है. इसको लेकर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई की मांग की गई है.
आगरा, नितिन उपाध्याय: आगरा नगर निगम में भ्रष्टाचार का जिन्न एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है. इसको लेकर शहर के 4 व्यक्तियों द्वारा नगर निगम और स्मार्ट सिटी लिमिटेड में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी गई है. इस चिट्ठी की प्रति प्रधानमंत्री समेत 15 अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को भी भेजी गई हैं. आगरा निगम और भारत सरकार द्वारा शहरों को चमकाने के लिए बनाई गई योजना के तहत गठित स्मार्ट सिटी से जुड़े अधिकारी सवालों के घेरे में हैं. मुख्यमंत्री को लिखी गई चिट्ठी में गंभीर आरोप मंडलायुक्त अनिल कुमार, नगर आयुक्त अरुण प्रकाश समेत कई अधिकारियों पर लगाए गए हैं.
चिट्ठी में क्या लिखा है
इस चिट्ठी में लिखा है कि कुछ अधिकारी नगर निगम में ठेकेदारों से 5 प्रतिशत से लेकर 27 प्रतिशत तक कमीशन वसूल रहे हैं. वहीं स्मार्ट सिटी के कामों में 4.5 प्रतिशत कमीशन वसूला जा रहा है. चिट्ठी में गंभीर आरोप लगाया गया है कि मंडलायुक्त अनिल कुमार को एक प्रतिशत, नगर आयुक्त को 2 प्रतिशत, अपर नगर आयुक्त के बी सिंह को 0.7 प्रतिशत, नोडल अधिकारी आरके सिंह को 0.7 प्रतिशत और नगर आयुक्त के निजी सचिव को 0.10 प्रतिशत कमीशन जाता है. चिट्ठी में सभी अधिकारियों को आगरा से हटाने और उनपर सख्त कार्रवाई की मांग की गई है. आरोप लगाया गया है कि एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आरके सिंह को स्मार्ट सिटी का नोडल इसलिए बनाया गया है, ताकि ठेकेदारों से वसूली की जा सके.
इस मामले में मेयर नवीन जैन ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि मुझे चिट्ठी मिली है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस मामले में मुख्यमंत्री और मेरे स्तर से जांच जरूर होगी. मेयर भले ही जांच की बात कर रहे हैं, ताकि सवाल उन पर भी उठ रहे हैं, क्योंकि वो नगर निगम के मुखिया हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि उनकी जानकारी के बिना कैसे उनकी नाक के नीचे भ्रष्टाचार पनप रहा था.
चिट्ठी को सरकार में मंत्री जी एस धर्मेश ने काफी गंभीरता से लिया है. उनका कहना है कि मुझे जब चिट्ठी मिली, तो उसके बाद मैंने व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री से शिकायत की है. उन्होंने जांच का आश्वासन दिया है. मंत्री धर्मेश ने गंभीर आरोप लगाया है कि कुछ अधिकारी पूरी तरह अनैतिक कामों में लिप्त हैं, इसलिए वो आगरा से जाना नहीं चाहते.
वहीं, मामले में विधायक पुरषोत्तम खंडेलवाल पूरी तरह आग बबूला नजर आए. उनका कहना है कि नगर निगम भ्रष्टाचार का अड्डा है. इससे पहले भी कूड़ा कलेक्शन का घोटाला सामने आया था. FIR दर्ज करने की बात हुई थी, लेकिन मेयर ने अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया है और उस मामले में उन्होंने अविलंब कार्रवाई की मांग की है.
आगरा के एत्मादपुर विधानसभा से विधायक रामप्रताप चौहान का कहना है कि ये अधिकारी सरकार की छवि खराब कर रहे हैं. इन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. स्मार्ट सिटी में भी मेंबर हूं, लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त ये अधिकारी जानबूझकर स्मार्ट सिटी से हम जैसे विधायकों को दूर किए हुए हैं, ताकि काले गुनाहों को अंजाम देते रहें.
वहीं, विपक्षी दल इस मामले में सरकार को घेरते नजर आए. कांग्रेस की प्रदेश महासचिव शबाना खंडेलवाल ने भी नगर निगम को भ्रष्टाचार का अड्डा बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां बिना कमीशन के कोई काम नहीं होता. पहले भी CFO के खिलाफ दो-दो मंत्रियों ने चिट्ठी लिखी लेकिन कोई कार्रवाई मुख्यमंत्री ने नहीं की.
मामले में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल चतुर्वेदी ने भी आरोप लगाया कि पहले भी दिवंगत विधायक जगन प्रसाद गर्ग 27 प्रतिशत कमीशन का आरोप लगा चुके हैं, लेकिन को कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में सवाल मेयर पर भी उठते हैं कि मेयर क्यों नहीं CM से कहते कि इन भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, जबकि मेयर ने खुद शपथ लेते हुए कसम खाई थी कि मैं ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा. समाजवादी पार्टी की मांग है कि ऐसे अधिकारियों की जांच कराकर जेल भेजा जाए.
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