आगरा: ताज नगरी आगरा नगर निगम में हुआ कूड़ा घोटाला अधिकारियों के गले की फांस बन गया है. कूड़ा घोटाले को लेकर नगर निगम और आगरा के मेयर पर सवाल उठ रहे हैं. मामले को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. जनप्रतिनिधियों ने कूड़ा घोटाले को लेकर पहले ही मोर्चा खोल रखा है. नगर निगम सदन में हंगामे के बाद आम आदमी पार्टी ने भी सवाल उठाए थे.


आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष कपिल वाजपेयी ने सोशल मीडिया पर आगरा के मेयर और नगर निगम से सवाल पूछे थे कि जब घोटाला 36 करोड़ का हौ तो क्यों महज पौने तीन करोड़ के घोटाले को लेकर मुकदमा दर्ज कराया गया है. कपिल ने कंपनियों के फर्जीवाड़े के कागजात गायब होने की आशंका जताई है और कूड़ा घोटाले को लेकर आम आदमी ने पर्चे बांट जनता से समर्थन मांगा है.


गौरतलब है कि, आगरा में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के नाम पर 2.82 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है. कूड़ा उठाने वाली फर्मों ने फर्जीवाड़ा करके रकम का गबन कर लिया. आरोप है कि चारों फर्म ने लोगों से रकम वसूली करने के बाद उसे नगर निगम के कोष में जमा नहीं कराया. निगम को जब इस बात का पता चला तो कमेटी बनाकर इसकी जांच कराई गई. धोखाधड़ी सामने आने के नोटिस देकर रकम जमा कराने को कहा गया है. रकम जमा नहीं कराने पर नगर निगम के पर्यावरण अभियंता ने हरी पर्वत थाने में चारों फर्म के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.


स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम को शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करना था. नगर निगम ने इसके लिए झांसी की तीन फर्मों मैसर्स अरवा एसोसिएट, मैसर्स सोसाइटी फॉर एजुकेशन एंड वेलफेयर, ओम मोटर्स और ग्वालियर की एक फर्म मैसर्स एसआरएमटी वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड से अनुबंध किया था. मई और जून 2019 में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन किए गए. हाउस होल्ड की संख्या के सापेक्ष इन चारों फर्म ने लोगों से धनराशि वसूल की. मगर नगर निगम के कोष में पूरी धनराशि जमा नहीं कराई गई.


फर्म की तरफ से भुगतान में घोटाला करने की शिकायत नगर निगम के अधिकारियों से की गई. उन्होंने तीन सदस्यीय कमेटी गठित करके घोटाले की जांच कराई. कमेटी ने जांच में पाया कि चारों फर्म ने 2.82 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान नगर निगम के कोष में नहीं कराया गया. इस पर नगर निगम ने इन फर्मों को एक सप्ताह का नोटिस दिया. भुगतान की रकम नगर निगम के कोष में जमा कराने की कहा गया. निर्धारित समय बीतने के बाद भी इन फर्मों ने कोई रकम जमा नहीं कराई जिसके बाद फर्मों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. इसी को लेकर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं.


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