Corruption in Government Project: सरकारी योजनाओं को भ्रष्टाचार मुक्त करने और गुणवत्ता पूर्वक कार्य को संपन्न कराने के लिए सरकार हर संभव कवायद कर रही है. साथ ही जिम्मेदारों को समय-समय पर कड़ी चेतावनी भी दे रहे हैं. इतना ही नहीं विकास कार्यों की समीक्षा कर लापरवाह कर्मचारियों और अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करते अक्सर नजर आते हैं. बावजूद इसके ना तो सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार रुक रहा है और ना ही योजनाएं गुणवत्तापूर्ण संपन्न हो रही हैं. कुछ ऐसा ही हाल केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना कानपुर देहात के बीहड़ के इलाके अमराहट में पानी की समस्याओं को दूर करने के लिए राजीव गांधी कैनाल पंप परियोजना में दिखाई दी. अभी इस कैनाल परियोजना का काम पूरा ही नहीं हुआ है कि बनी हुई नहर है अभी से टूटने लग गई है. मजदूर जहां इसमें अनिमितता किए जाने की बात कह रहे हैं, वहीं, जिले के जिम्मेदार मामले की जांच करा कर कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.


बुंदेलखंड के इलाकों में पानी की कमी दूर करने के लिए प्रोजेक्ट था


दरअसल, बीहड़ और बुंदेलखंड के इलाकों में हो रही पानी की समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार ने राजीव गांधी अमराहट कैनाल पंप परियोजना नाम से एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट की शुरुआत करते हुए बीहड़ के इलाकों में नहरों के निर्माण का कार्य शुरू करा दिया था. इसी के चलते जनपद कानपुर देहात के सिकंदरा तहसील क्षेत्र के अमराहट में राजीव गांधी अमराहट कैनाल पंप परियोजना की शुरुआत करते हुए नहरों का निर्माण कार्य शुरू हुआ. जिसके पहले फेज का कार्य समाप्त हो चुका है, वहीं दूसरे फेज का कार्य जारी है. करीब 105 करोड़ की लागत इस परियोजना में जिम्मेदारों को गुणवत्तापूर्ण कार्य करने और समय पर कार्य को पूरा करने के निर्देश शासन द्वारा समय-समय पर दिए जा रहे हैं. वहीं, जिले के आलाधिकारियों को परियोजना के कार्यों का औचक निरीक्षण कर गुणवत्ता की परख और जांच करने के निर्देश भी दिए गए हैं. बावजूद यह परियोजना भ्रष्टाचार और गुणवत्ता हीन होती दिख रही है. परियोजना के तहत कराए गए नहरों के निर्माण का कार्य अभी पूरा ही नहीं हुआ है कि नहर का जितना निर्माण हो चुका है वह अभी से ही टूटने लगे है. 


मानकों का नहीं रखा गया ध्यान


नहर पर कई जगह गड्ढे अभी से दिखाई देने लगे हैं. वहां कार्य करने वाले मजदूरों की माने तो निर्माण कार्य कराने वाली संस्था ने नहर के निर्माण के समय मानक को ध्यान में नहीं रखा है, जिस मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है, वह इसके लिए उपयोगी नहीं है. साथ ही अन्य मानकों को भी ध्यान में नहीं रखा गया है. जिसकी वजह से यह नहर टूट गई है. वहीं, जिले के जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच कराकर कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कह रहे हैं.


भ्रष्टचार के भेंट चढ़ा


105 करोड़ की लागत से तैयार की जा रही राजीव गांधी कैनाल परियोजना घटिया मटेरियल और ठेकेदारी प्रणाली के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है. करोड़ों की लागत से निर्माण कराई जा रही इस परियोजना में ठेकेदार और अधिकारी अपनी जेबे गर्म करते जा रहे हैं, तो वहीं परियोजना पर काम कर रहे कर्मियों की माने तो यह परियोजना का ठेका रजत इंफ्रा नाम से कंपनी को मिला था और वही इस परियोजना में निर्माण कार्य करा रही है लेकिन इस कंपनी के अंडर में काम कर रहे कर्मचारियों की माने तो उनका साफ कहना है कि, इस निर्माण कार्य में प्रयोग की जा रही मिट्टी की गुणवत्ता खराब है जिसके चलते निर्माण में यूज की गई इस मिट्टी से निर्माण कार्य खराब हो रहा है, और मजदूरों की माने या कर्मचारियों की तो उनके 10 साल के अनुभव में इस तरीके का निर्माण कार्य उन्होंने कभी नहीं देखा. 


मंत्री ने कहा-सही कर दिया जाएगा


जब हमने इस बाबत जनपद कानपुर देहात में रह रहे उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री अजीत पाल से बात की तो उन्होंने ज्यादा कुछ ना कहते हुए इस घटिया निर्माण और परियोजना के साथ हो रही ठेकेदारों की लापरवाही की बात पर बस इतना ही कहा कि, बहुत जल्द इसको सही करा दिया जाएगा. कार्यवाही की बात करने पर उन्होंने कोई संतुष्टि भरा जवाब तो नहीं दिया, लेकिन निर्माण कार्य के सही कराने की बात जरूर कही. अब देखना यह है कि, निर्माण कराने वालों और निर्माण की देखरेख करने वालों, दोनों पर शासन या प्रशासन क्या कार्यवाही करता है. सरकार की महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक राजीव गांधी कैनाल पंप योजना आखिर कब तक भ्रष्टाचार की चलती रहेगी और कब जागेंगे जिम्मेदार ऐसे लापरवाह कर्मचारियों व ठेकेदार के खिलाफ.



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