अयोध्या: कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं और यही चर्चा अब उनके लिए मुसीबत बन सकती है. दरअसल अयोध्या जनपद के एडीजे प्रथम और एमपी एमएलए कोर्ट की विशेष न्यायाधीश पूजा सिंह ने उनको 26 मार्च को अपना पक्ष रखने के लिए आदेश दिया है और इसके लिए उन्हें नोटिस भी भेज दी गई है. हम आपको बताते हैं कि यह पूरा मामला है क्या और इसके कानूनी मायने क्या हैं?
राफेल डील को लेकर पीएम पर की थी टिप्पणी
सात फरवरी 2019 को सामाजिक कार्यकर्ता मुरलीधर चतुर्वेदी ने 156 (3) के तहत सीजीएम कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, जिसे 14 फरवरी 2019 को सुनवाई के लिए स्वीकार किया गया था. इस प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमान में घोटाले का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर गंभीर आरोप लगाकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला है, जबकि उक्त सौदे में कोर्ट क्लीन चिट दे चुकी है लेकिन इस तरह की आरोप लगाकर राहुल गांधी ने जनमानस को गुमराह किया. इस मुकदमे में तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहित निगम ने सुनवाई के दौरान इस को 29 फरवरी 2019 को खारिज कर दिया था.
राहुल गांधी को जारी किया नोटिस
उन्होंने अपने आदेश में कहा था कि प्रश्नगत मामला विभिन्न तिथियों पर विभिन्न स्थानों पर किए गए कथनों पर आधारित है जो कि इस न्यायालय के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है, जिसको लेकर उन्होंने एडीजे प्रथम न्यायालय में एक रिवीजन निगरानी याचिका दाखिल की थी, जिसमें राहुल गांधी को नोटिस जारी हुई है. जिसमें उनको 26 मार्च को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया गया है. अब राहुल गांधी को 26 मार्च को फैजाबाद कोर्ट में खुद या अपने अधिवक्ता द्वारा अपना पक्ष रखना होगा. अगर वह ऐसा नहीं करते तो इस मुकदमे में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश भी हो सकता है, इसलिए राहुल गांधी को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजी गई है. इसलिए इस मुकदमे में राहुल गांधी अधिवक्ता के जरिए अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं अब देखना दिलचस्प होगा कि अपने जवाब में वह क्या कहते हैं?
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