Muzaffarnagar Riots: मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान गैंगरेप मामले में अदालत का फैसला, दो लोगों को 20 साल की सजा
Muzaffarnagar Riots: गैंगरेप के दो मुलजिमों को 20 साल कैद की सख्त सजा मिली है. मामला शामली में 2013 के सांप्रदायिक दंगों का है. अदालत ने पीड़िता के बयान में विरोधाभास नहीं पाया है.
Muzaffarnagar Riots Case: मुजफ्फरनगर की अदालत ने गैंगरेप के दो मुलजिमों को 20 साल कैद की सख्त सजा सुनाई है. मामला शामली में 2013 के सांप्रदायिक दंगों का है. जज अंजनी कुमार सिंह ने मुलजिम महेश्वीर और सिकंदर को सजा सुनाते हुए 89 पन्नों का आदेश पारित किया. आदेश में कहा गया है कि दोनों ने असहाय महिला के साथ रेप किया. महिला गन्ने के खेत में अपने बेटे के साथ दंगों से खुद को बचाने के लिए जा रही थी. घटना 8 सितंबर 2013 की है. सांप्रदायिक दंगों की शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई थी. जल्द ही आसपास के इलाके भी दंगों की चपेट में आ गए.
मुजफ्फरनगर की अदालत का बड़ा फैसला
दो समुदायों के आपसी संघर्ष में 60 लोगों से ज्यादा की मौत हो गई थी और पांच हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए. मंगलवार को सजा का आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आया है. कुछ महीने पहले देश की सर्वोच्च अदालत ने प्राथमिकता के आधार पर मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 13 मार्च को पीड़ित पक्ष की तरफ से वकील वृंदा ग्रोवर की याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान निचली अदालत को निर्देश दिया गया.
'रेप पीड़िता का बयान विरोधाभासी नहीं'
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपने आदेश में मुख्य गवाह यानी पीड़ित के बयान को सही माना. अदालत ने कहा कि रेप की घटना के संबंध में पीड़िता का बयान विरोधाभासी नहीं है. बयान के मुताबिक पीड़िता अपने बेटे के साथ अकेले थी क्योंकि उसका पति डॉक्टर से मिलने गया था. पीड़िता ने आगे बताया था कि दंगों से खुद को बचाने के लिए खेत में शरण लेने का फैसला किया. बड़ी मस्जिद के पास एक शख्स की हत्या का अफवाह फैलने की वजह से सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे.