Uttarakhand News: सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (ITDA) को हाल ही में साइबर हमलों का सामना करना पड़ा, जिससे इसकी कार्यक्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ा. आईटीडीए का ढांचा पिछले साल संशोधित किया गया था, जिसमें 45 नए पद सृजित किए गए थे. इसके बाद एजेंसी ने 11 विशेषज्ञों की भर्ती और प्रतिनियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था, लेकिन अपेक्षित आवेदक न मिलने के कारण यह भर्ती प्रक्रिया अधूरी रह गई.


इस समय आईटीडीए केवल तीन अधिकारियों के भरोसे चल रहा है, जिनमें से सिर्फ एक अधिकारी तकनीकी विशेषज्ञ है. बाकी के दो अधिकारी एक आईएएस निदेशक और वित्त नियंत्रक हैं, जिनका तकनीकी विशेषज्ञता से कोई सीधा संबंध नहीं है.


पुनर्गठन के बाद सृजित पदों के बावजूद विशेषज्ञों की कमी ने आईटीडीए की कार्यप्रणाली को प्रभावित किया है. हाल ही में हुए साइबर हमले के दौरान केंद्रीय एजेंसियों को भी इस कमी का सामना करना पड़ा. एक साधारण कार्य जिसे 24 घंटे में पूरा किया जा सकता था, विशेषज्ञों की अनुपलब्धता के कारण तीन दिन में पूरा हो पाया. इस समस्या को देखते हुए अब आईटीडीए का ढांचा फिर से संशोधित करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. 


आईटी सचिव नितेश झा ने बताया कि आईटी की बढ़ती जरूरतों के आधार पर नया प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही कैबिनेट के सामने रखा जाएगा. इस नए ढांचे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए साइबर हमलों से बचाव के लिए जरूरी उपाय भी शामिल किए जाएंगे.


आईटीडीए के ढांचे की कमी का एक अन्य बड़ा उदाहरण यह है कि बेंगलुरु की आईटीआई लिमिटेड, जिसे दो साल पहले डिजास्टर रिकवरी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, अब तक आईटीडीए के डेटा का बैकअप नहीं ले पाई है. नतीजतन, हाल के साइबर हमले के दौरान डिजास्टर रिकवरी प्रक्रिया को भी प्रभावी रूप से लागू नहीं किया जा सका. अब आईटी विभाग ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है और डिजास्टर रिकवरी के लिए एक नई एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपने का अनुरोध किया है. केंद्र सरकार की सूचीबद्ध 18 एजेंसियों में से किसी एक को यह जिम्मेदारी मिलने की संभावना है.


विशेषज्ञों और स्टाफ की कमी ने आईटीडीए की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एजेंसी की साइबर सुरक्षा, तकनीकी विशेषज्ञता और डिजास्टर रिकवरी में सुधार के लिए नए ढांचे की सख्त जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे हमलों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके.


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