Uttarakhand News Today: उत्तराखंड में हाल ही में एक बड़े साइबर हमले की वजह से कई सरकारी वेबसाइट पर काम ठप पड़ गया था. इस दौरान माकोप रैनसमवेयर के जरिए संवेदनशील डाटा पर कब्जा करने की कोशिश की गई. विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि इस हमले में माकोप रैनसमवेयर का उपयोग किया गया, जिसका दुनिया में पहली बार 2020 में साइबर क्राइम में इस्तेमाल किया गया था.
साइबर हमले के दौरान रैनसमवेयर सिस्टम की फाइलों को इंक्रिप्टेड कर देता है, जिससे वह डाटा तब तक लॉक रहता है, जब तक कि फिरौती की मांग पूरी नहीं होती है. माकोप रैनसमवेयर एक खतरनाक साइबर हमला करने वाला सॉफ्टवेयर है, जो सिस्टम में घुसने के बाद उसकी सभी फाइलों को इंक्रिप्ट कर देता है और उस पर एक लॉक लगा देता है.
माकोप एक खतरनाक साइबर हथियार
इसके बाद सिस्टम खोलने पर एक फिरौती का नोट दिखाया जाता है, जिसमें साइबर अपराधी फिरौती की रकम की मांग करते हैं. तब तक सिस्टम के अंदर की कोई भी फाइल, डाटा या सूचना उपलब्ध नहीं होती.
यह रैनसमवेयर सिस्टम की पूरी संरचना को नियंत्रित कर लेता है. यह विंडोज के कार्यों को रोक देता है और फोल्डर्स को छिपा देता है. साथ ही हार्डवेयर और मेमोरी पर भी कब्जा कर लेते हैं.
कैसे काम करता है माकोप?
माकोप रैनसमवेयर का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि यह पूरी सिस्टम की जानकारी को एकत्र कर लेता है और विंडोज के कार्यों पर नियंत्रण कर लेता है. यह ड्राइव और फोल्डर्स को एक्सेस करने पर रोक लगा देता है और हार्डवेयर और मेमोरी पर कब्जा कर लेता है.
इस रैनसमवेयर की खासियत यह है कि यह तब तक छिपा रहता है, जब तक सिस्टम पर कोई विशेष कार्रवाई नहीं की जाती. अगर इसे हटाने या डाटा रिकवर करने की कोशिश की जाती है, तो यह पूरे डाटा को नष्ट कर सकता है.
पहले भी हुए हैं रैनसमवेयर हमले
यह पहली बार नहीं है कि माकोप रैनसमवेयर का हमला हुआ है. इससे पहले देश और दुनिया भर में कई प्रमुख संस्थान इसके शिकार हो चुके हैं. मार्च 2022 में ग्रीस की डाक व्यवस्था रैनसमवेयर का शिकार हुई थी.
मई 2022 में भारत की एक प्रमुख एयरलाइन ने भी इस हमले को झेला, जिसकी वजह से उड़ानें रद्द करनी पड़ी और यात्री फंस गए थे. मई 2021 में, एक अमेरिकी ईंधन पाइपलाइन को रैनसमवेयर हमले के कारण अपनी सेवाएं अस्थायी रूप से बंद करनी पड़ी.
इसी तरह दुनिया की सबसे बड़ी मांस आपूर्तिकर्ता कंपनी पर भी मई 2021 में रैनसमवेयर हमला हुआ. जिसने उत्पादन को रोकने और अपनी वेबसाइट को अस्थायी रूप से बंद करने पर मजबूर कर दिया. इस कंपनी ने आखिरकार बिटकॉइन में 11 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फिरौती देकर अपने सिस्टम को वापस प्राप्त किया.
साइबर हमले की जांच शुरू
उत्तराखंड साइबर हमले में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह हमला कहां से और किसने किया है. माकोप रैनसमवेयर के हमलावरों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है. राज्य और केंद्रीय एजेंसियां हमले की जांच कर रही हैं और साइबर विशेषज्ञों की टीम इस पर काम कर रही है.
फिलहाल, डाटा रिकवरी की संभावनाएं बेहद कम हैं. सरकार की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस हमले से राज्य पर कितना गंभीर प्रभाव पड़ेगा. इस जांच में एनआईए को भी शामिल कर किया गया है, इस पूरे मामले में केंद्र की कई एजेंसियां काम कर रही हैं.
इस हमले ने उत्तराखंड सरकार और संस्थानों को साइबर सुरक्षा के प्रति सचेत कर दिया है. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि भविष्य में ऐसे खतरनाक साइबर हमलों से बचने के लिए सख्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है.
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