लखनऊ (संतोष कुमार शर्मा). आज साइबर क्राइम ना सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश के लिए एक नई चुनौती और लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाके का नया खतरा है. कब किसके पास आए एक फोन कॉल से बैंक में जमा रकम जालसाज के पास पहुंच जाए अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है. फॉरेन टूर देने, एटीएम ब्लॉक होने, पेंशन व इन्शयोरेंस स्कीम, पेटीएम जैसे ई वॉलेट वेरीफिकेशन के नाम पर जालसाज लोगों को ठगने का हथकंडा अपना रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोगों को ठगने की पढ़ाई होती है, ट्रेनिंग होती है, कोचिंग इंस्टिट्यूट चल रहे हैं या यूं कहा जाए कि साइबर क्राइम की पूरी यूनिवर्सिटी चल रही है.


साइबर अपराध की नर्सरी झारखंड के चार शहर


बिहार और पश्चिम बंगाल से सटे झारखंड का नाम आते ही हमारे दिमाग में जंगल, पहाड़ आदिवासी जैसे पिछड़े इलाके की तस्वीर सामने आती है. लेकिन शायद आपको यह नहीं पता कि झारखंड के चार शहर ऐसे हैं जहां के युवाओं ने समूचे हिंदुस्तान और खासकर उत्तर भारत के सभी राज्यों को परेशान कर रखा है. जिस साइबर क्राइम से निपटने के लिए यूपी पुलिस और देश के अन्य राज्यों की पुलिस हलकान है. उस साइबर अपराध का सबसे बड़ा अड्डा झारखंड के चार जिले हैं. जामताड़ा, गिरिडीह देवघर और दुमका यह वह 4 जिले हैं, जहां के घरों में बैठे लड़के पल भर में हाइटेक सिटी बेंगलुरु हो या मायानगरी मुंबई या फिर दिलवालों की दिल्ली, किसी भी शहर के व्यक्ति को बस एक फोन कॉल से उसकी पूरी कमाई बैंक खाते से गायब कर रहे हैं.


एटीएम क्लोनिंग, बैंक अकाउंट हैकिंग तक सिखायी जाती है


इन शहरों में साइबर अपराध की नर्सरी से लेकर स्कूल कॉलेज और या यूं कहें कि यूनिवर्सिटी चल रही है. जल्द पैसा कमाने, महंगे फोन रखने के लालच में यहां के लड़के साइबर अपराध में शामिल हो रहे हैं और उनको शामिल कोई और नहीं बल्कि इन्हीं के शहर के, गांव के, मोहल्ले के सीनियर लोग करते हैं. जी हां, साइबर अपराध के बड़े जानकारों को यहां से सीनियर और छोटे जानकारों को किसी कॉलेज यूनिवर्सिटी की तरह जूनियर और सीनियर कहा जाता है. यहां एटीएम क्लोनिंग, बैंक अकाउंट हैकिंग, ग्राहक को फंसाने के लिए कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव बनके कैसे बात की जाए, इसकी बाकायदा इन शहरों में कोचिंग सेंटर चल रहे हैं.


लखनऊ में दबोचे गये गैंग ने किया बड़ा खुलासा 


बीते दिनों लखनऊ साइबर सेल ने भी इन्हीं शहरों से ताल्लुक रखने वाले एक गैंग को दबोचा तो तमाम अहम जानकारियां हासिल हुईं. पता चला इस अपराध को अंजाम देने के लिए अलग-अलग ग्रुप बने हैं. हर ग्रुप का काम होने के बाद परसेंटेज. एक व्यक्ति 10 से 15 मोबाइल लेकर 1 दिन में चलता है, मोबाइल को फर्जी नाम पते वाले सिम के साथ नए लड़कों को दे दिया जाता है. यह लड़के इंटरनेट के जरिए खोजे गए नंबरों पर बैंकिंग से जुड़ी हुई तमाम लुभावनी स्कीम के सहारे बात करते हैं, और जब ओटीपी, बैंक अकाउंट, एटीएम कार्ड नंबर हासिल कर लेते तो पूरी जानकारी गैंग के सीनियर मेंबर को दे दी जाती है.


फिर वो सीनियर नंबर मेंबर दूसरे गुट को यह जानकारी पहुंचाता है. वह ग्रुप टारगेट के खाते से रकम को निकालकर फर्जी नाम पते पर खोले गए बैंक खातों में ट्रांसफर कर लेता है. इतना ही नहीं इस रकम को भी यह साइबर क्रिमिनल ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए छोटे-छोटे हिस्सों में कई दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर करते हैं तो कई बार पेटीएम वॉलेट में ट्रांसफर. लखनऊ साइबर सेल ने जिस गैंग को दबोचा तो उसने 53 लाख जैसी बड़ी रकम को 10,000, 5000 और 2000 के टुकड़ों में तमाम बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया था और वह बैंक खाता भी लखनऊ में नहीं मुंबई में चलाया गया.


साइबर अपराध का बड़ा नेटवर्क जामताड़ा में 


मौजूदा वक्त में जामताड़ा के हर घर में साइबर अपराध का बड़ा नेटवर्क चल रहा है. जामताड़ा की यह बीमारी गिरिडीह देवघर और दुमका को तो लग ही चुकी है, बिहार के बांका के युवक भी इसकी चपेट में आने लगे हैं. साइबर अपराध से जुटाई गई कमाई को पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले में इन्वेस्ट किया जा रहा है.


साइबर अपराध के बढ़ते आंकड़ों ने उत्तर प्रदेश पुलिस को खासा बेचैन कर रखा है. देश में सर्वाधिक साइबरक्राइम की शिकायतों वाले उत्तर प्रदेश में पुलिस ने तैयारी भी शुरू कर दी है. हर रेंज मुख्यालय पर साइबर थाने बना दिए गए हैं. इन साइबर थानों के जरिए ना सिर्फ साइबर क्राइम रजिस्ट्रेशन आसान होगा बल्कि उसकी इन्वेस्टिगेशन रिजल्ट पूरी की जा सकेगी. लेकिन झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल में बढ़ती साइबर अपराध की कोचिंग और दूसरी तरफ पुलिस की तैयारी को देखकर यही लगता है कि हम बीमार का इलाज करने की कोशिश में तो लगे हैं लेकिन बीमारी को फैलने से रोकने की कोशिश अभी भी नहीं की जा रही.


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