एक्सप्लोरर

जब बीहड़ों में गरजती बंदूकें तय करती थी चुनाव का नतीजा, खौफ के साये में पड़ते थे वोट

बीहड़ों में डकैतों का खौफ इस कदर था कि इनके फरमान के बाद प्रत्याशी की जीत तय होती थी. अगर कोई इसके खिलाफ बोलता था तो उसे डकैतों का सितम झेलना पड़ता था.

जालौन: यूपी में पंचायत चुनाव का बिगुल बज गया है और जल्द ही नामांकन व मतदान की प्रक्रिया शुरू हो जाएंगी. गांव की संसद का फ़ैसला अब वहां के रहने वाले लोग स्वतंत्र रूप से करते हैं. लेकिन अगर दो दशक पुराना चुनावी इतिहास उठा ले तो यह बात सुनकर आप दंग रह जाएंगे कि, पंचायत के चुनाव में दस्युओं के खौफ से कोई भी उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था और डाकुओं की ओर से चुनावी मैदान में उतारे गए प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित कर सीधा प्रधान और ब्लाक प्रमुख की कुर्सियों पर काबिज हुआ करते थे.

डकैत जारी करते थे फरमान

बता दें कि, बुंदेलखंड के जालौन में डकैतों और पंचायत चुनाव से जुड़ी एक ऐसी कड़ी है जिसे सुन हर कोई दंग रह जाएंगा. वैसे तो देश 1947 में ही आज़ाद हो गया था, लेकिन बीहड़ पट्टी से जुड़े गांव 2003 तक डकैतों के खौफ के साये में अपना जीवन बसर करते रहे. यमुना और चंबल के बीहड़ों की पट्टियों से सटे कई गांव डकैतों की यातनाएं का शिकार भी होते रहे हैं. देर से मिली इस 'आजादी' की वजह सिर्फ डकैत ही थे. बीहड़ के डकैतों की कहानियां जितनी खौफनाक हैं, लोगों पर उनका असर भी उतना ही गहरा था. जब 80 के दशक से डकैतों को सियासत का चस्का लगा और इस 'नशे' ने 2003 तक छोटे-बड़े हर चुनाव को प्रभावित किया. जीता वही, जिसके पक्ष में डकैतों ने फरमान जारी किया. फिलहाल वर्तमान में रामपुरा के पचनद के बीहड़ शांत हैं और इसकी वजह यह कि ज्यादातर डकैतों के एनकाउंटर हो चुके हैं. सियासत के जरिये डकैत पुलिस पर अपना प्रभाव बनाना चाहते थे और इसके लिए ही वह चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारते थे. रुपए और राजनीति के संरक्षण में डकैतों ने लोगों और पुलिस को अच्छा खासा परेशान किया. चुनाव के समय डकैतों ने अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारकर राजनीति का गंदा खेल शुरू किया. अपने पक्ष में वोट डलवाने के लिए डकैत फरमान जारी करते थे. अपनी गैंग के सहारे डकैत 50-100 गांवों तक यह संदेश पहुंचा देते थे कि किस पार्टी, निशान और प्रत्याशी को वोट देना है.

अंतिम मुहर डकैतों की होती थी

बीहड़ के गांवों में पुलिस की गैरमौजूदगी में किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि, डकैतों के इस फरमान का विरोध करे. अगर किसी गांव में कोई फरमान के खिलाफ बोलने की हिम्मत करता था तो उसे डकैतों का सितम झेलना पड़ता था. जालौन का बीहड़ में बसा बिलोड़ गांव जो आज भी पहलवान उर्फ सलीम नाम के डाकू के सितम की दास्तां बताता है. गांव में एक चबूतरा बना हुआ है जहां शाम के वक्त डकैत जनसभाएं करने आते थे और यहां कई मामलों पर डाकुओं की निर्णायक मुहर भी लगती थी. मध्यप्रदेश की सीमा से सटे हुए होने की वजह से यहां उनके साथ आसपास के नामी डकैत का साथ भी रहता था और यह मूक इशारा इतना बताने के लिए काफी था कि वोट किसे देना है.

खौफ के साये में रहते थे गांव वाले

इन गांवों में धमकी दी जाती थी कि अगर हमारा प्रत्याशी हारा तो रहने का दूसरा बंदोबस्त कर लेना वरना लाशें बिछा देंगे. यह दस्युओं का असर था कि 80 के दशक से शुरू हुआ सियासत का यह खेल 90 के दशक के आखिर तक पूरे रंग में आ गया था और जालौन के बीहड़ पट्टी के गांवों में 2003 तक के चुनावों में प्रत्याशी कार्यकर्ताओं ने नहीं, बल्कि डकैतों ने जीत का रास्ता बनाया. इनके बलबूते ही कई प्रत्याशी पंचायत चुनाव मे जीते. डकैतों ने चुनावी राजनीति का रुख अपने हिसाब से मोड़ा. पंचायत के कुछ चुनावों में तो ऐसे मौके आए कि पर्चा भरने की आखिरी तारीख तक डकैतों के खौफ के कारण एक भी शख्स आगे नहीं आया. बाद में डकैतों ने अपने प्रत्याशी का पर्चा भरवाया और उसकी जीत सुनिश्चित कर दी. यहां के रहने वाले लोगों के मुताबिक बीहड़ो में डकैत ही अपनी सरकार चुना करते थे.

इन डकैतौं के नाम से थर्राता था बीहड़

बीहड़ होने की वजह से इन गांवों में पुलिस की आवाजाही कम होती थीं जिसका फायदा उठाकर डकैत हर गांव में फरमान देने के लिए शाम के वक्त घोड़े पर सवार अपनी बंदूकों पर पसंदीदा पार्टी के झंडे लगाकर गांव-गांव घूमते थे. यह इस बात का संकेत होता था कि वोट किसे देना है। गांव में कोई भी इस फरमान के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था. बीहड़ के जंगलों में अरविंद गुर्जर, निर्भय गुर्जर, रामवीर, सलीम पहलवान, जगजीवन परिहार, चंदन यादव, रामआसरे उर्फ फक्कड़, कुसुमा नाइन और रेनू यादव के फरमान खूब चले और अपनी जिंदगी की सलामती के लिए हर कोई उनके इस आदेश को मानता था. इतना ही नही जालौन की माधौगढ़ सीट से डकैत रेनू यादव खुद चुनाव लड़ना चाहती थीं. पुलिस की डाकुओं के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान कई बार प्रत्याशियों के झंडे और पैंफलेट बरामद किए गए.

डकैतों का हुआ एनकाउंटर

निर्भय गुर्जर, लालाराम-श्रीराम, फूलन, फक्कड और कुसुमा नाईन आदि ने करीब 25 सालों तक बीहड़ में चुनाव को प्रभावित किए. मध्यप्रदेश से चुनाव प्रचार के लिए 2002 में आया रमेश डकैत जालौन में एनकाउंटर में मारा गया. हालांकि निर्भय फक्कड़ सहित कई डाकुओं के एनकाउंटर के बाद बीहड़ो के गांवों का निजाम बदला हवा बदली और अब यहां के लोग स्वतंत्र रूप से अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं और अपनी मर्जी से वोट डालकर अपना पसंदीदा प्रत्याशी भी चुनते हैं.

ये भी पढ़ें.

UP: सतीश गणेश वाराणसी और असीम अरुण कानपुर के पहले पुलिस कमिश्नर बने, इन IPS अफसरों के भी तबादले

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
FIR Against Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, बेंगलुरु कोर्ट ने इस मामले में दिया आदेश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, बेंगलुरु कोर्ट ने इस मामले में दिया आदेश
Bihar News: 'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Sleeping Competition: 9 घंटे की नींद...और जीते 9 लाख !.. बनी चैंपियनशिप | ABP NewsDeputy CM Bairwa की बेटी वीडियो वायरल..VVIP प्रोटोकॉल के दुरुपयोग पर उठे सवाल | ABP NewsUP Politics: अफजाल का क्लेश...कुछ तो बोलिए अखिलेश ! | ABP NewsUP Name Plate Controversy : नाम वाला विवाद अब बैंड बाजे तक पहुंचा | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
FIR Against Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, बेंगलुरु कोर्ट ने इस मामले में दिया आदेश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, बेंगलुरु कोर्ट ने इस मामले में दिया आदेश
Bihar News: 'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
IPL 2025: रिटेंशन अनाउंसमेंट पर बड़ा अपडेट, बेंगलुरु में मीटिंग के बाद आज हो सकती है घोषणा
रिटेंशन अनाउंसमेंट पर बड़ा अपडेट, बेंगलुरु में मीटिंग के बाद आज हो सकती है घोषणा
ड्रैगन के सामने 'वज्र' तैनात! चीनी सीमा पर स्वार्म ड्रोन से बरसेगा कहर, DRDO से मिलेगी हाइपरसोनिक मिसाइल
ड्रैगन के सामने 'वज्र' तैनात! चीनी सीमा पर स्वार्म ड्रोन से बरसेगा कहर, DRDO से मिलेगी हाइपरसोनिक मिसाइल
चाय के साथ सुट्टा खूब पीते हैं लोग, जान लीजिए कितना खतरनाक है ये कॉम्बिनेशन
चाय के साथ सुट्टा खूब पीते हैं लोग, जान लीजिए कितना खतरनाक है ये कॉम्बिनेशन
चीन रोड़े अटकाने के लिए चाहे लगा ले जितना जोर, नहीं रोक पाएगा UN में भारत की स्थायी सदस्यता
चीन रोड़े अटकाने के लिए चाहे लगा ले जितना जोर, नहीं रोक पाएगा UN में भारत की स्थायी सदस्यता
Embed widget