उत्तर प्रदेश के दूसरे चरण के लिए 18 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इस दौर में आठ सीटों पर मतदान होना है। आगरा लोकसभा सीट पर इसी दौर में वोटिंग होगी। यह सुरक्षित लोकसभा सीट है। इस लोकसभा सीट की बात की जाए तो इस पर दलितों का वर्चस्व रहा है। फिलहाल आगरा सीट पर बीजेपी का कब्जा है। सपा-बसपा के गठबंधन के बाद इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है।


इस बार आगरा के रण में किस्मत आजमा रहे उम्मीदवार इस तरह हैं। महागठबंधन से बहुजन समाज पार्टी के मनोज कुमार सोनी, भारतीय जनता पार्टी से एसपी सिंह बघेल और कांग्रेस से प्रीता हरित मैदान में हैं।


आगरा लोकसभा सीट का इतिहास


एक समय में आगरा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन पिछले करीब दो दशकों में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी या समाजवादी पार्टी ही जीत पाई है। 1952 से लेकर 1971 तक यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इमरजेंसी के बाद देश में कांग्रेस विरोधी लहर में चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोक दल ने यहां पर जीत दर्ज की थी।


1980, 1984 में कांग्रेस ने फिर वापसी की लेकिन उसके बाद कांग्रेस दोबारा इस सीट पर कभी नहीं जीत पाई। 1989 में जनता दल ने इस सीट पर कब्जा किया। 1989 के बाद लगातार तीन लोकसभा चुनाव 1991, 1996 और 1998 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां अपना परचम लहराया। 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी की ओर से बॉलीवुड अभिनेता राज बब्बर ने यहां पर चुनाव जीता। अब राज बब्बर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। 2009 और 2014 में भारतीय जनता पार्टी के रामशंकर कठेरिया ने यहां बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी।


दिलचस्प है समीकरण आगरा दलित और मुस्लिम वोटरों का गढ़ माना जाता है। यहां करीब 37 फीसदी वोटर दलित और मुस्लिम ही हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां 18 लाख से अधिक वोटर थे, जिसमें 10 लाख पुरुष और 8 लाख महिला वोटर शामिल हैं। 2014 में यहां कुल 59 फीसदी मतदान हुआ था, इनमें 5161 वोट NOTA में गए थे।


आगरा लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें एतमादपुर, आगरा छावनी, आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर और जलेसर शामिल हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में आगरा लोकसभा सीट काफी अहम साबित होने वाली है।


2014 में भारतीय जनता पार्टी के रामशंकर कठेरिया ने आगरा लोकसभा सीट पर प्रचंड जीत हासिल की थी। कठेरिया को यहां करीब 55 फीसदी वोट मिले थे, जबकि उनके सामने बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को सिर्फ 26 फीसदी वोट मिले थे। अब 2019 में भारतीय जनता पार्टी के सामने पिछले प्रदर्शन को दोहराना एक चुनौती होगा। 2014 के आंकड़े रामशंकर कठेरिया- भारतीय जनता पार्टी- कुल वोट मिले 583716- 54.5 फीसदी नारायण सिंह सुमन- बहुजन समाज पार्टी- कुल वोट मिले 283453- 26.5 फीसदी महाराज सिंह ढांगर- समाजवादी पार्टी- कुल वोट मिले 134708- 12.6 फीसदी