DAP Shortage In Meerut: मेरठ में डीएपी के लिए महाभारत चल रही है. खेत खलिहान छोड़कर किसान सोसाइटी में कतारों में लगे हैं. मेरठ में डीएपी की कमी का संकट गहरा गया है. किसान मुश्किल दौर से गुजर रहें हैं और सरकार से गुहार लगा रहें हैं. मेरठ की राजपुरा सोसाइटी पर किसान कतारों में लगते हैं. कोई पांच बजे तो कोई छह बजे ही लाइन में आकर लग गया. ये लाइन राशन लेने के लिए नहीं बल्कि डीएपी के लिए लगी थी. भूखे प्यासे किसान कतारों में लगे रहे.


किसी ने एक ही डीएपी के कट्टे से सब्र कर लिया और किसी को एक भी नसीब नहीं हुआ. हमारी टीम जब राजपुरा सोसाइटी पहुंची तो वहां निराश होकर किसान लौट चुके थे, लेकिन किसानों का आना जाना जारी था, क्योंकि डीएपी की इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत है और किसानों वो मिल ही नहीं रही है. किसान रामबीर और वीरपाल बोले, डीएपी की बहुत कमी है हम घंटों लाइन में लगे और डीएपी खत्म हो गई.


मसूरी सोसाइटी में किसानों का हंगामा
मेरठ की मंसूरी सोसाइटी का हाल भी बेहाल नजर आया. यहां तो किसानों की कतार देखने लायक थी. किसान हंगामा कर सोसाइटी के कर्मचारियों को घेरे खड़े थे, बोले सुबह 6 बजे आ गए थे और अब तीन बज गए हैं, क्या है ये सब, भूखे प्यासे खड़े हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. फसल की बुआई नहीं कर पाए तो पूरे परिवार पर संकट आ जाएगा. किसानों की लंबी कतार और डीएपी को लेकर परेशानी चेहरे और शब्दों में नजर आ रही थी. किसान रहमत, अलीम, विश्वास और योगेश ने आरोप लगाया कि दबंगों को और सेटिंग से कई-कई डीएपी के कट्टे दे दिए और हमें एक कट्टा देने को तैयार नहीं हैं. कई किसान तो गुस्से में वहां से लौट गए.


बुआई में देरी से किसानों के सामने खड़ा होगा बड़ा संकट
गेंहु और आलू की बुआई के लिए किसानों को डीएपी और खाद की जरूरत होती है. खाद तो मिल रहा है लेकिन डीएपी नहीं मिल रही है. अब जितनी डीएपी मिलने में देरी होगी उतनी ही फसल पछेती होती चली जाएगी और इसकी वजह से फसल को भारी नुकसान भी हो सकता है. किसान इसलिए परेशान है कि उनकी फसल को देरी होती जा रही है और कोई सुनने को तैयार नहीं है. कई-कई दिन चक्कर काटने पर निराश होकर लौटना पड़ता है और जब डीएपी आ जाती तो वो कम पड़ जाती है.


मंसूरी सोसाइटी पर किसानों का हंगामा बढ़ रहा था. सोसाइटी के सचिव ओमपाल सिंह को घेरकर किसान खड़े थे और खूब खरी खोटी सुना रहे थे कि क्या हो गया, कितने चक्कर लगाएं. इस पर जब हमने सचिव ओमपाल सिंह से बात की तो कहने लगे पांच नवंबर को आया था डीएपी का ट्रक और उसके बाद 17 दिन बाद आया है, चेक लगा दिया है जल्द दूसरा भी आ जाएगा बोले कमी है डीएपी की. यानि साफ है कि 17 दिन किसानों को लंबा इंतजार करना पड़ा और उसके बावजूद भी किसानों के हाथ डीएपी के लिए खाली हैं.


ये भी पढ़ें: 'जैसे राम मंदिर बना है वैसे ही बाबा विश्वनाथ...', ज्ञानवापी मामले पर बोले मंत्री संजय कुमार निषाद