उत्तर प्रदेश को रौशन करने वाला सोनभद्र जिसे ऊर्जा की राजधानी कहा जाता है पर एक पुरानी कहावत चरितार्थ होते नजर आती है कि "चिराग तले अंधेरा" जहाँ एक तरफ सरकार लोगो के घर घर बिजली पहुचाने का प्रयास कर रही है वही जिले के अधिकारी सरकार के मंसूबे पर पानी फेरते नजर  रहे है. जिले के कई गांव में खम्भे तो लग गए है पर उसपर तार नही लगा जिससे बहुत ऐसे गांव अब भी है जहाँ बिजली नही पहुँच पाई है.


बांस बल्ली के सहारे टिके हैं बिजली के तार


वहीं कुछ गांव ऐसे है जहाँ बिजली के खुले तार बांस, बल्ली के सहारे है जो दुर्घटना को दावत देते नजर आते हैं. ये बिजली के तार बल्लियों के सहारे छः फुट से भी कम ऊँचाई पर लगे हैं जिससे आये दिन हादशे होते रहते हैं. गांव के लोगों का आरोप है कि कई बार इसकी शिकायत आला अधिकारियों से की गई पर कोई कार्रवाई नही हुई ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर प्रदर्शन कर जमकर बिजली विभाग के खिलाफ नारेबाजी की और जल्द सीमेंटेट खम्भे लगाने की मांग की है. वही बिजली विभाग का कहना है कि एक हप्ते में जल्द ही खंभे लग जायेंगे साथ ही जिन जगहों पर 40 वर्षों पुराने तार व खंभे है उसके भी एस्टीमेट बना लिए गए है उसकी भी बदलने की कवायद शुरू कर दी गयी है.


वही ग्राम पंचायत पटहत के प्रतिनिधि ने बताया कि जब से हम लोग निर्वाचित हुए है, तब से कई बार बिजली विभाग के एक्सियन, जेई से इस मामले की शिकायत कर चुके है. हमारे गांव में 25 वर्षों से बिजली के खम्भो की जगह लकड़ी के बांस व बल्ली के सहारे तार झूल रहे है अधिकारियों के पास जाने पर केवल आश्वासन ही मिलता है, पर कोई सुनवाई नही हो रही है हर बार अगले महीने खंभे लग जाएंगे यह कह कर टाल दिया जाता है.


वही अधिषाशी अभियंता सर्वेश सिंह ने बताया कि दोनो गांव नवगांव व पौनी के लिए खंभे आ गए है और जल्द ही खंभे लग जायेंगे. वही जिन जगहों पर 40 वर्षों पुराने तार व खंभे है उनको बदलने के लिए एस्टिमेट बना लिया गया है वहाँ के भी तार व खंभे जल्द ही बदलने शुरू हो जाएंगे.


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