गले मिलने को लेकर दारुल उलूम देवबंद का नया फतवा, पाकिस्तानी शख्स के सवाल पर दिया ये जवाब
मुफ्तियों के पैनल ने कहा, 'अगर कोई आपसे गले मिलना चाहता है तो प्यार और विनम्रता के साथ उसे इन्कार कर देना चाहिए।' फतवे में कहा गया है कि इस बात का भी ख्याल रखा जाए कि ऐसा करते वक्त कोई विवाद की स्थिति न पैदा हो।
सहारनपुर, एबीपी गंगा। ईद के मौके पर इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद के एक नए फतवे पर विवाद खड़ा हो गया है। देवबंद के इस फतवे में कहा गया है कि ईद के त्योहार के दौरान एक-दूसरे से गले मिलना इस्लाम की नजर में अच्छा नहीं है। दरअसल, पाकिस्तान के एक शख्स ने दारुल से सवाल पूछा था कि क्या हजरत मोहम्मद साहब के जीवनकाल में किए गए अमल से यह साबित होता है कि ईद के दिन गले लगना अच्छा है? इस शख्स ने सवाल किया था कि अगर कोई गले मिलने के लिए आगे बढ़े तो क्या उससे गले मिल लेना चाहिए।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ फतवादेवबंद के मुफ्तियों ने इस सवाल के जवाब में दिए फतवे में कहा है कि अगर कोई ऐसा करता है तो उसे विनम्रता के साथ रोक देना चाहिए। हालांकि दारुल के मुफ्तियों ने कहा है कि अगर किसी से बहुत दिनों के बाद मुलाकात हुई हो तो उससे गले मिलने में कोई हर्ज नहीं है। मुफ्तियों के पैनल ने कहा, 'अगर कोई आपसे गले मिलना चाहता है तो प्यार और विनम्रता के साथ उसे इन्कार कर देना चाहिए।' फतवे में कहा गया है कि इस बात का भी ख्याल रखा जाए कि ऐसा करते वक्त कोई विवाद की स्थिति न पैदा हो। ईद के मौके पर दारुल का यह फतवा सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।
देवबंद के विवादित फतवे
इससे पहले भी देवबंद के फतवों पर विवाद होता रहा है। पिछले साल एक फतवे में कहा गया था कि डिजाइनर बुर्का या लिबास पहनकर महिलाओं का घर के बाहर निकलना जायज नहीं है। फतवे में कहा गया कि मुस्लिम महिलाएं सिर्फ जरूरत पर ही घर से निकलें। घर से निकलते समय वे जिस्म को इस तरह छुपाएं कि उसके आजा (शरीर के अंग) जाहिर न हों। उन्हें ढीला लिबास पहन कर ही बाहर निकलना चाहिए। इसके अलावा नवंबर 2018 में दारुल के एक मुफ्ती ने कहा कि महिलाओं को अपने नाखूनों पर नेल पॉलिश की जगह मेहंदी का इस्तेमाल करना चाहिए।