उन्नावः उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली खबर सामने आ रही है. यहां संक्रमण काल में गंगा धारा में दफन किए गए सैकड़ों शवों को कुत्ते कब्र में गढ्डा कर नोंच रहे हैं. जिला प्रशासन की इस बड़ी लापरवाही को जब मीडिया ने दिखाया तबसे शासन में हड़कंप मच गया और उन्नाव के अफसरों से मामले की तत्काल रिपोर्ट सीएम के कार्यलय से तलब की गई.


सीमा विवाद में उलझे रहे प्रशासनिक अधिकारी


जिसके बाद अधिकारी हरकत में आए नाकामी को छिपाने में जुट गए. डीएम उन्नाव ने एसडीएम बीघापुर से रिपोर्ट तलब की वहीं सुबह से ही एसडीएम के अलावा एसडीएम बिंदकी ने पुलिस बल के साथ बक्सर गंगा घाट पर डेरा जमा दिया. दोनों जिले के अधिकारी कई घंटो सीमा विवाद में उलझे रहे. एसडीएम बिंदकी ने बाकायदा नक्शे के साथ शव दफनाए जाने का चिन्हांकन किया है. 


एसडीएम बीघापुर ने दावा किया कि शव दफनाए जाने वाला स्थल फतेहपुर जिले की बिंदकी तहसील में आता है. जिससे यह स्थान बिंदकी सीमा में आता है. वहीं डीएम उन्नाव रविंद्र कुमार ने घाट के किनारे शव दफनाने में पूरी तरीके से रोक लगा दी है. वहीं कोई व्यक्ति शव को नहीं दफना सके इसके लिए पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई है.


गंगा के बीचोबीच शवों को दफना


दरअसल कोरोना काल में प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे उन्नाव जिले के गंगा नदी के बक्सर घाट पर सैकड़ों लाशों को बालू में ही दफन कर दिया गया, गंगा के बीचोबीच में भी शवों को दफना दिया गया है, मगर जिला प्रशासन ने इसकी सुध तक नहीं ली. बुधवार को जब शवों को कुत्तों के द्वारा नोंचे जाने की वीभत्स तस्वीरें सामने आए तो गुरुवार सुबह से ही उन्नाव और फतेहपुर के प्रशासनिक अफसर व पुलिस लाशों के मैनेजमेंट में जुट गए.


पुलिस ने घाट पर बालू में दबे 175 शवों से कफन हटवा दिया, इसके साथ ही शवों पर बालू डलवाकर अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने का काम किया है. जबकि अफसरों को इस बात की थोड़ी भी चिंता नहीं है कि शवों का ठीक से अंतिम संस्कार नहीं किया गया तो महामारी फैल सकती है. 


लकड़ी से जलाकर होगा अंतिम संस्कार


डीएम उन्नाव रविंद्र कुमार हरकत में आए और देर रात ही बीघापुर एसडीएम दयाशंकर पाठक व सीओ को मौके पर जांच कर रिपोर्ट तलब किया है. वहीं गुरुवार सुबह 7 बजे फतेहपुर जनपद की एसडीएम बिंदकी प्रियंका अपने राजस्व विभाग के अधिकारीयों व पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल शुरू की. दोपहर करीब 11 बजे तक दोनों जनपद के अधिकारी सीमा विवाद की लकीर पीटते रहे. एसडीएम बिंदकी ने नक्शे की मदद से शव दफनाए गए स्थान का चिन्हांकन किया. ऐसे में एक बड़ा सवाल उठाता है कि शवों का अंतिम संस्कार प्रक्रिया जरूरी थी, या सीमा विवाद, फिलहाल एसडीएम बिंदकी ने कुछ भी बताने से इंकार कर आगे बढ़ गई.


एसडीएम बीघापुर दयाशंकर पाठक ने बताया कि जांच में शव दफनाए गए पाया गया है. मगर कोई भी शव बाहर नहीं मिला और न किसी शव को कुत्तों ने नोंचा है. एसडीएम ने दो टूक घाट पर मिले मंजर को नकार दिया और सब ठीक होने का दावा करते नजर आए. एसडीएम ने कहा कि डीएम के निर्देश पर गंगा घाट पर शव दफनाए जाने पर पूरी तरीके से रोक लगा दी गई है. अब शव का लकड़ी से जलाकर ही अंतिम संस्कार होगा.


 


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