गोरखपुर, एबीपी गंगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में इंसेफेलाइटिस नाम की बीमारी चलते अक्सर सुर्खियों में रहा है। इस बीमारी की वजह से इस जनपद में कई बच्चे काल के मुंह में समा गये। यह जानलेवा बीमारी बच्चों को प्रभावित करती है और सही इलाज न मिलने पर जान तक चली जाती है। हालांकि राज्य सरकार ने बीते दो सालों में घातक बीमारी के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाकर काफी हद नियंत्रण पाने में सफलता पायी है। साल 2017 में घातक बीमारी के चलते करीब 67 बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद राज्य की योगी सरकार सवालों के घेरे में आ गई थी। लेकिन अब ये पुरानी बात है..तब से लेकर अब बड़ा फर्क सामने आया है।


जिले का बीआरडी अस्पताल भी बच्चों की मौत को लेकर काफी बदनाम हो चुका था। अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर संदेह चरम पर पहुंच गया था।  1978 से लेकर आज की तारीख में इस रोग से करीब 25 हजार बच्चों की असमय मौत हो गई। यूपी के इस पूर्वी इलाके में इंसेफ्लाइटिस का सबसे बड़ा प्रकोप वर्ष 2005 में देखा गया था जब बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अकेले 1500 बच्चों की मौत हो गई थी। यह सिलसिला कमोबेश जारी रहा। लेकिन 2017 के बाद इसमें कमी आई है। इसके पीछे की वजह बताते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ कहते हैं ऐसे इलाकों में जहां इसका प्रकोप ज्यादा था वहां पर 10 किमी के घेरे में छोटे छोटे अस्पताल बनाए गए हैं। इस वर्ष जनवरी से मार्च के बीच करीब 40 लाख बच्चों का टीकाकरण किया गया। जबकि पिछले वर्ष टीकाकरण कराने वाले बच्चों की संख्या 35 लाख थी।


राज्य सरकार के आंकड़ों मानें तो पिछले दो वर्षों में इंसेफ्लाइटिस से मरने वालों बच्चों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। 2017 में इंसेफ्लाइटिस से करीब 748 बच्चों की मौत हुई थी। 2018 में यह संख्या घटकर 278 हो गई जबकि इस वर्ष अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक 38 बच्चों की मौत हुई है। इस संबंध में इलाके के एक डॉक्टर आर एन सिंह का कहना है कि पुख्ता तौर पर वो आंकड़ों के संबंध में नहीं कह सकते हैं। लेकिन पहले हर महीने औसतन 25 से तीस बच्चे इस रोग का शिकार होकर अस्पतालों की दहलीज पर पहुंचते थे। लेकिन अब वो संख्या घटकर एक या दो मरीजों की हो गई है।