पटना, एबीपी गंगा। मुजफ्फरपुर में काल बन चुका चमकी बुखार अबतक 132 बच्चों की जान ले चुका है। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) नाम की इस बीमारी से बिहार में हाहाकार मचा है। रोज बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। लेकिन डॉक्टरों अभी भी बीमारी की जड़ तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। दूसरी तरफ अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 414 हो गई है। 100 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद अब सरकार सक्रिय हुई है। 17 दिन बाद सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को हालात का जायजा लेने मुजफ्फरपुर पहुंचे ।


SKMCH पहुंचकर नीतीश कुमार PICU-1 में पीड़ित बच्चों की हालत के बारे में जानकारी ले रहे थे इसी दौरान अस्तपाल के बाहर नाराज लोगों ने अव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए ''सीएम वापस जाओ'' के नारे लगाए।


अस्पताल के बाहर काफी लोग थे, वे सभी मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे लेकिन नीतीश कुमार ने अस्पताल में मरीजों का हाल जानने के बाद किसी से कोई बात नहीं की और पटना के लिए रवाना हो गए। अस्पताल के भीतर सीएम ने AES से पीड़ित बच्चों के परिजनों का भी हालचाल जाना। नीतीश कुमार के साथ डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी भी मौजूद रहे।


गौरतलब है कि चमकी बुखार से पीड़ित ज्यादातर बच्चे मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में भर्ती हैं।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ बीमारी से पहले एक्शन नहीं लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है। बच्चों की मौत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है।


बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने चमकी बुखार से निपटने के लिए कई निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि मरीजों को अस्पताल ले जाने में देरी की वजह से ज्यादातर मौते हो रही हैं। मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।


मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि मरीज अस्पताल का खर्च उठाने में सक्षम हैं, इसलिए मरीजों को पैसे भी मुहैया कराये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि SKMCHके विस्तार का फैसला किया गया है। इसे 2500 बिस्तरों वाला अस्पताल बनाया जाएगा। फिलहाल SKMCH में 610 बेड हैं जबकि 100 बेड के ICU भी बनाये जाएंगे।