प्रयागराज, एबीपी गंगा। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत अगले कुछ दिनों में होने की उम्मीद है, लेकिन मंदिर के स्वरुप को लेकर प्रयागराज के माघ मेले में अभी से बहस छिड़ गई है। राम मंदिर के लिए लंबे समय तक आंदोलन चलाने वाली विश्व हिन्दू परिषद ने अपने द्वारा तैयार मॉडल को न सिर्फ माघ मेले में लोगों के दर्शन के लिए रख दिया है, बल्कि इसी स्वरुप का मंदिर बनाए जाने की पुरज़ोर वकालत भी है। वीएचपी से अलग द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अगले हफ्ते अपने अलग मॉडल के साथ माघ मेले में आ रहे हैं।



शंकराचार्य स्वरूपानंद के प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल कम्बोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तर्ज पर है। उनके मॉडल को मध्य प्रदेश के दर्जनों कारीगर दिन रात कड़ी मेहनत कर चंदन की लकड़ी से तैयार कर रहे हैं। अपने इस मॉडल और कुछ पूजित शिलाओं के साथ शंकराचार्य स्वरूपानंद बसंत पंचमी के स्नान पर्व के बाद हज़ारों भक्तों के संग प्रयागराज से अयोध्या के लिए कूच करेंगे। माघ मेले में शंकराचार्य के प्रतिनिधि स्वामी श्रीधरानंद के मुताबिक़ वह लोग इस बात की मांग करते हैं कि अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण न सिर्फ इसी मॉडल की तर्ज पर हो, बल्कि माघ मेले के बाद सरकार को यही मॉडल अयोध्या में राम जन्मस्थान पर भी रख देना चाहिए ताकि मंदिर निर्माण का काम पूरा होने तक अयोध्या जाने वाले रामभक्त मंदिर के इस स्वरुप का दर्शन कर संतुष्टि पा सकें।


गौरतलब है कि रविवार को वीएचपी ने अपने मॉडल को माघ मेले के कैम्प में न सिर्फ लोगों के दर्शनार्थ रख दिया है, बल्कि संगठन के केंद्रीय उपाध्यक्ष चम्पत राय ने तो इसके समर्थन में यहां तक बयान दे डाला कि अगर उनके मॉडल का मंदिर नहीं बना तो रामलला का मंदिर बनने में कम से कम बीस साल लग जाएंगे और एक पीढ़ी को इसके दर्शन से वंचित होना पड़ेगा। साफ़ तौर पर कहा जा सकता है कि मंदिर निर्माण के ट्रस्ट का गठन अभी नहीं हुआ है लेकिन इसके स्वरुप को लेकर दावेदारी -बयानबाजी और खींचतान शुरू हो गई है। विवाद की यह नौबत तब आई है जब ट्रस्ट से इतर दावेदारियां की जाने लगी हैं।