वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के वजूखाने की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) कराने की मांग वाली याचिका पर वहां की एक अदालत आज फैसला सुना सकती है.वजूखाने की कार्बन डेटिंग कराने की मांग चार महिलाओं ने की है. उनकी याचिका पर वाराणसी के जिला जज की अदालत में सुनवाई की. अदालत ने फैसाल सुनाने के लिए आज की तारीख तय की थी. ज्ञानवापी मामले में लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू पाठक, रेखा व्यास और राखी सिंह याचिकाकर्ता हैं. इनमें से राखी सिंह को छोड़कर चार महिलाओं ने  कार्बन डेटिंग कराने की मांग की है.वहीं राखी की दलील है कि मस्जिद में मिली आकृति शिवलिंग थी, शिवलिंग ही है और शिवलिंग ही रहेगी. उनका कहना है कि इस लिए उन्हें कार्बन डेटिंग या किसी और वैज्ञानिक जांच की जरूरत नहीं है.


ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे


वाराणसी जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने पिछली तारीख पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश के लिए सात अक्तूबर की तारीख तय की थी. वहीं वाराणसी के सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में अविमुक्तेश्वर भगवान आदि की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई होगी. हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली निवासी विष्णु गुप्ता और खजुरी निवासी अजीत सिंह ने यह याचिका दायर की है. इसमें अविमुक्तेश्वर भगवान के पूजा-पाठ, राग-भोग,भजन-कीर्तन व धार्मिक अनुष्ठान के आयोजन की अनुमति मांगी गई है.


हिंदू पक्ष का क्या दावा है


इस साल मई में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे हुआ था. इस पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने के बीच में एक शिवलिंग मिला है.वहीं मुस्लिम पक्ष उसे फब्वारा बता रहा है. इसपर अदालत ने उसे सील करने के आदेश दिए थे.याचिकाकर्ताओं की मांग है कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग के साथ-साथ वैज्ञानिक जांच कराई जाए.उनकी यह भी मांग है कि इसके लिए शिवलिंग को किसी तरह की क्षति न पहुंचाई जाए. इसका मकसद यह पता करना है कि यह फव्वारा है या शिवलिंग. है. उससे संबंधित वैज्ञानिक साक्ष्य होगा."


ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद


इस साल 12 सितंबर  को सुनवाई के बाद वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवी देवताओं की पूजा की मांग को लेकर की गई पांच महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार की थी. अदालत ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर दी थी. वाराणसी का ज्ञानवापी मामला 1991 में कोर्ट पहुंचा था.कुछ साधु-संतों ने सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल कर वहां पूजा की इजाजत मांगी थी.उनकी याचिका में मस्जिद की जमीन हिंदुओं को देने की मांग भी की गई थी. वहीं मस्जिद पक्ष का किया था कि याचिका उपासना स्थल कानून का उल्लंघन है.


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