UP News: उत्तर प्रदेश में गोरखपुर विश्वविद्यालय (Gorakhpur Univeristy) के कुलपति प्रो. राजेश सिंह (Rajesh Singh) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. संगठन की ओर से जारी बयान में कुलपति को घेरते हुए कहा गया है कि प्रो. राजेश सिंह की ओर से लगातार की जा रही वित्तीय अनियमितताएं और अकादमिक कुप्रबंधन का सीधा दुष्प्रभाव छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है, जिससे तंग आकर वहां के छात्र, विश्वविद्यालय के कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन के विरोध में उतर आए.


एबीवीपी की ओर से कहा गया है कि तथ्यों के आधार पर जबसे प्रो. राजेश सिंह की अक्षमता और भ्रष्टाचार उजागर होना शुरू हुआ है, वह मीडिया पर अवैध हस्तक्षेप कर मीडियाकर्मियों को डराना चाहते हैं. गोरखपुर विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय के ही प्रोफेसर की ओर से शोध‌ के नाम पर करोड़ों रुपये की धनराशि सीड मनी के रूप जारी होने और उसके कोई हिसाब नहीं होने का आरोप विश्वविद्यालय कुलपति पर लगाया गया है. इस संदर्भ उचित जांच करके सत्य सामने आना चाहिए और आरोप सत्य साबित होने पर कुलपति पर कार्रवाई हो.


'छात्रों के खिलाफ दर्ज कराई गई झूठी एफआईआर'


गोरखपुर विश्वविद्यालय की वर्तमान बदहाल स्थिति में प्रोफेसर राजेश सिंह की ओर से अपने भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के विरोध में उठने वाली छात्रों की आवाज को दबाने के लिए तानाशाही रवैया अपनाते हुए छात्रों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है. साथ ही विरोध कर रहे छात्रों का दमन किया जा रहा है. बयान में बताया गया है कि प्रो. राजेश सिंह गोरखपुर विश्वविद्यालय में वर्तमान नियुक्ति से पूर्व पूर्णिया विश्वविद्यालय, बिहार के कुलपति (मार्च 2018 से अगस्त 2020) तक रहे, जिस कार्यकाल के दौरान उनके ऊपर विश्वविद्यालय निधि के गबन के और अलग-अलग प्रकार के भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, जिसकी जांच लोकायुक्त बिहार की तरफ से की गई.


कुलपति की तरफ से अभी नहीं मिली कोई प्रतिक्रिया


एबीवीपी की तरफ से कहा गया है कि जांच में लोकायुक्त बिहार ने पाया कि प्रोफेसर राजेश सिंह ने पूर्णिया विश्वविद्यालय में कुलपति रहते हुए अपनी वित्तीय शक्तियों का दुरुपयोग करके वित्तीय अनियमितताएं की. इस संदर्भ में लोकायुक्त ने पूर्णिया विश्वविद्यालय के ऑडिट की अनुशंसा राज्यपाल से की. जांच पूरी होने तक प्रो. राजेश सिंह आरोप-मुक्त होने का दावा नहीं कर सकते हैं. गोरखपुर विश्वविद्यालय में भी उनपर अलग-अलग तरह के आरोप लग रहे हैं, जिनका उनके पास कोई जवाब नहीं है. इन आरोपों पर कुलपति का पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी.


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