Deharadun News: देहरादून के चकराता रोड स्थित एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल परिसर में ध्वस्त मजार का पुनर्निर्माण कराए जाने का मामला सामने आया है. यह विवाद तब भड़का जब हाल ही में सोशल मीडिया पर मजार की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए. स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसका विरोध करते हुए इसे सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने की कोशिश बताया. मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और मजार को ध्वस्त कर दिया. लेकिन, मजार का फिर से निर्माण शुरू होने पर पुलिस ने अज्ञात ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
बिंदाल चौकी प्रभारी रजनीश सैनी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि चकराता रोड चौड़ीकरण के दौरान स्कूल परिसर में स्थित 60-70 साल पुरानी मजार ध्वस्त हो गई थी. कुछ समय बाद, एक अज्ञात ठेकेदार ने मजार का पुनर्निर्माण शुरू कर दिया. जब इसका पता चला तो क्षेत्रीय जनता और हिंदू संगठनों ने कड़ा विरोध जताया. इसके बाद प्रशासन ने सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए मजार को दोबारा ध्वस्त कर दिया. प्रशासनिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह निर्माण उत्तराखंड की 2016 की नीति, जो लोक संपत्ति, सार्वजनिक मार्ग और अन्य स्थानों पर अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने से संबंधित है ये उसका उल्लंघन था.
सांप्रदायिक सौहार्द्र पर असर
सोशल मीडिया पर मजार के निर्माण की खबर फैलने के बाद, क्षेत्र में तनाव बढ़ गया. हिंदू संगठनों ने इसे सांप्रदायिक मुद्दा बताते हुए तीव्र विरोध प्रदर्शन किया. उनका आरोप था कि इस तरह की गतिविधियां जानबूझकर शांति व्यवस्था को भंग करने के लिए की जा रही हैं. प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद, पुनर्निर्माण ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया.
कानूनी कार्रवाई और पुलिस जांच
बिंदाल चौकी प्रभारी की तहरीर के आधार पर पुलिस ने अज्ञात ठेकेदार के खिलाफ धारा-3 लोक संपत्ति नुकसान निवारक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है. एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि अवैध निर्माण और सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने की साजिश की जांच की जा रही है. पुलिस ने ठेकेदार की पहचान के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं.
प्रशासन का रुख सख्त
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि या सांप्रदायिक सौहार्द्र को भंग करने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी.क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस सतर्क है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.यह घटना सार्वजनिक संपत्ति और धार्मिक स्थलों के अनधिकृत निर्माण को लेकर प्रशासनिक सख्ती और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करती है.
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