Uttarakhand Assembly Session: उत्तराखंड (Uttarakhand) विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन है जहां एक ओर विधानसभा के अंदर विपक्ष ने जनहित के मुद्दों को लेकर हंगामा किया तो वहीं, विधानसभा के बाहर तमाम संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को ज्ञापन (Memorandum) सौंपा. वनाधिकार आंदोलनकारियों ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर विधानसभा की तरफ कूच किया. इस दौरान पुलिस प्रशासन ने इन्हें विधानसभा से पहले रोककर इनका ज्ञापन लिया. इस दौरान वनाधिकार आंदोलन के संयोजक कांग्रेस (Congress) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय (Kishore Upadhyay) से प्रशासन की हल्की नोकझोंक भी हुई.
समर्थन देने पहुंचे पूर्व सीएम हरीश रावत
वहीं, वनाधिकार आन्दोलन को समर्थन देने पहुंचे पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि वनाधिकार आन्दोलन के दो मुद्दे फ्री रसोई गैस व बिजली हमारे भविष्य के एजेंडे में हैं. इनके अतिरिक्त 2016 में हमारी सरकार ने वनाधिकार के लिए समितियों का गठन किया जिसके सदस्य गांव-गांव गए. इसकी रिपोर्ट सरकार के पास है जिसे सरकार ने रोक दिया है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को आगे बढ़ाने का जो संघर्ष किशोर उपाध्याय की तरफ से किया जा रहा है वो अभूतपूर्व है.
डिप्लोमा फार्मासिस्टों ने भी सौंपा ज्ञापन
प्रशिक्षित बेरोजगार फार्मासिस्ट पिछले कई दिनों से अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन, अभी तक सरकार से कोई ठोस आश्वासन ना मिलने से खफा हो कर डिप्लोमा फार्मासिस्टों ने आज विधानसभा की तरफ कूच किया. प्रदर्शन कर रहे फार्मासिस्टों प्रशासन के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान प्रशिक्षित डिप्लोमा फार्मासिस्ट संघ के अध्यक्ष ने कहा कि हम लोग पिछले कई दिनों से आन्दोलन कर रहे हैं. कल हम लोगों ने सचिवालय कूच भी किया था और स्वास्थ्य मंत्री के एक प्रतिनिधि मंडल के द्वारा आश्वासन भी दिया गया लेकिन लिखित आश्वासन ना मिलने के कारण हम लोगो ने आज विधानसभा कूच किया है. हमारी मांग है कि विभागों में रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए और आईपीएचएस मानकों के अनुसार मृत किए गए पदों को बहाल किया जाए. इन तमाम मांगों को लेकर जब तक कोई ठोस निर्णय सरकार नहीं लेती है तब तक आन्दोलन जारी रहेगा.
भोजन माताओं ने भी रखी अपनी मांग
सरकारी स्कूलों में पिछले कई वर्षों से मिड डे मील योजना के तहत कार्य कर रही भोजन माताओं ने भी आज अपनी स्थाई नियुक्ति को लेकर विधानसभा कूच किया. इस दौरान भोजन माता संघ की प्रदेश महामंत्री रजनी जोशी ने बताया हम लोग पिछले 18, 20 सालों से मात्र 2 हजार के मानदेय पर कार्य कर रहे हैं जबकि हम लोगों से भोजन माता के अतिरिक्त सफाई कर्मचारी, चतुर्थ कर्मचारियों समेत अन्य काम भी करवाए जा रहे हैं, जिसे तत्काल बन्द करवाया जाए और भोजन माताओं को स्थाई नियुक्ति दी जाए. वेतन वृद्धि भी की जाए. मांगों के साथ ही भोजन माताओ ने पुदुचेरी (केंद्र प्रशासित राज्य) का हवाला देते हुए कहा कि वहां पर भोजन माताओं का मानदेय 19 हजार प्रतिमाह है, जिसे यहां ओर भी लागू किया जाए.
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