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देहरादून: फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलों से तैयार किए जाते हैं खूबसूरत नाइट लैम्प, पर्यावरण संरक्षण के साथ मिल रहा है रोजगार
देहरादून का संपूर्ण स्वदेशी समूह पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक वेस्ट को फेंकने के बजाय घरों की साज-सजावट के लिए कई चीजें तैयार कर रहा है. प्लास्टिक की बोतलों से बनी चीजों को लोग खूब पसंद कर रहे हैं.
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देहरादून: अक्सर हम प्लास्टिक की बोतलों को फेंक देते हैं जिसका पर्यावरण पर बहुत ज्यादा कुप्रभाव पड़ता है, लेकिन इसी को देखते हुए देहरादून में एक समूह ऐसा भी है जो कचड़े से प्लस्टिक की बोतलों को उठाकर खूबसूरत नाइट लैम्प तैयार कर रहा है. इतना ही नहीं रक्षाबंधन के मौके पर ये समूह बोतलों से राखियां भी बनाता है. नाइट लैम्प, हैंगिंग लैम्प और टेबल कैंडल्स को किस तरह से फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलों से बनाते हैं पढ़ें इस खास रिपोर्ट में.
पसंद कर रहे हैं लोग प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल के नारे को बुलंद करते हुए राजधानी देहरादून का संपूर्ण स्वदेशी समूह पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक वेस्ट को फेंकने के बजाय घरों की साज-सजावट के लिए कई चीजें तैयार कर रहा है. प्लास्टिक की बोतलों और उनके ढक्कनों से कई खूबसूरत वस्तुएं होम डिकोर के लिए बनाई जा रही हैं, जिसको लोग खूब पसंद कर रहे हैं.
अनोखा प्रयोग किया गया मातृभूमि परिवार इसे लेकर काम कर रहा है. उनका कहना है की पर्यावरण संरक्षण को लेकर किस तरह से काम किया जाए उसी को देखते हुए ये अनोखा प्रयोग किया गया है. पहले घर की खूबसूरती के लिए प्लास्टिक की बोतलों से गमले तैयार किए गए लेकिन अब कई चीजें बनाई जा रही हैं, जो लोगों को खूब पसंद आ रही हैं.
लोगों को मिल रहा है रोजगार बाजारों में नाइट लैम्प महंगे दामों पर मिलते हैं वहीं प्लास्टिक से बनाए गए लैम्प काफी किफायती हैं. समूह का कहना है की त्यौहारों के मौके पर उनकी तरफ से स्टॉल लगाए जाते हैं जहां से लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं. मातृभूमि परिवार से जुड़े आर्टिस्ट हितेश का कहना है के इससे जहां एक ओर पर्यावरण संरक्षण हो रहा है तो वहीं कई लोगों को रोजगार भी मिला है.
महिलाओं को हुआ लाभ मातृभूमि परिवार के साथ स्थानीय लोग भी जुड़े हुए हैं. समूह में ऐसी महिलाओं को भी शामिल किया गया है जिनको रोजगार की जरूरत है. ऐसे में पहले इनको प्लास्टिक की बोतलों से कैसे डिजाइनदार चीजें बनाए जाने की ट्रेनिंग दी जाती है और उसके बाद महिलाओं को उनका मेहनताना भी दिया जाता है. काफी महिलाएं ऐसी हैं जो इससे लाभान्वित हुई हैं.
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