देहरादून: उत्तराखंड के दिग्गज दलित नेता और बीजेपी सरकार में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य के पौने पांच साल बाद सोमवार को दोबारा कांग्रेस में शामिल होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शायराना अंदाज में प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि 'जाने वाले को कहां रोक सका है कोई, तुम चले हो तो कोई रोकने वाला भी नहीं'. इस शेर को सुनाने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बीजेपी में देशहित प्रथम स्थान और व्यक्तिगत हित अंतिम स्थान पर आते हैं.


पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ''हमारी पार्टी में देश प्रथम स्थान पर आता है और पार्टी द्वितीय स्थान पर आती है और व्यक्तिगत हित अंतिम स्थान पर आता है. मैं समझता हूं कि उनके व्यक्तिगत हित आ गए होंगे.'' पिछले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस छोडकर बीजेपी में शामिल हुए आर्य की अपने पुत्र और नैनीताल विधायक संजीव के साथ 'घर वापसी' की अटकलें काफी दिनों से चल रही थीं और मुख्यमंत्री धामी ने इस घटनाक्रम को टालने के स्वयं प्रयास भी किए थे.


आर्य और धामी दोनों का विधानसभा क्षेत्र उधमसिंह नगर जिले में है


करीब एक पखवाड़े पहले मुख्यमंत्री धामी के आर्य के घर पहुंचने और उनके साथ सुबह के नाश्ते पर करीब एक घंटे तक हुई लंबी बातचीत को भी इन अटकलों से जोड़कर देखा गया था. बाहर आने के बाद दोनों नेताओं ने हालांकि कहा कि यह केवल एक शिष्टाचार भेंट थी और 'परिवार' के लोग आपस में बातचीत करते रहते हैं. गौरतलब है आर्य और मुख्यमंत्री धामी दोनों का विधानसभा क्षेत्र उधमसिंह नगर जिले में है. धामी जहां खटीमा से विधायक हैं वहीं आर्य बाजपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं.


राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आर्य का कांग्रेस में घर वापसी का फैसला हाल में पंजाब में दलित मुख्यमंत्री बनाए जाने और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत के उत्तराखंड में भी इसकी वकालत करने से भी प्रेरित हो सकता है. इसके अलावा, आर्य के इस निर्णय के पीछे उधमसिंह नगर जिले में किसानों की बड़ी संख्या के चलते आगामी चुनाव में उनकी संभावनाओं पर पड़ने वाले असर के रूप में भी देखा जा रहा है.


आर्य ने 40 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद 2017 में ऐन विधानसभा चुनाव से पहले पुत्र संजीव के साथ बीजेपी में शामिल होकर सबको चौंका दिया था. तब कांग्रेस ने हालांकि कहा ​था कि आर्य अपने अलावा अपने पुत्र संजीव के लिये भी विधानसभा टिकट मांग रहे थे और अपने कर्मठ कार्यकर्ता की अनदेखी कर उन्हें यह टिकट दे पाना संभव नहीं था. छह बार के विधायक आर्य ने कैबिनेट मंत्री रहने के अलावा सात साल उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी संभाला है. वह प्रदेश की पहली निर्वाचित विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं.


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