देहरादून, एबीपी गंगा। नारी निकेतन में मूक-बधिर महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में देहरादून की अदालत ने सजा का ऐलान कर दिया है। अदालत ने चार साल पहले मूक-बधिर महिला के साथ बलात्कार करने और गर्भवती होने पर जबरन गर्भपात करवाने के एक मामले में मुख्य अभियुक्त को सात साल के कारावास की सजा सुनाई है।


देहरादून के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश धरम सिंह ने नारी निकेतन में झाड़ू लगाने का काम करने वाले मुख्य आरोपी गुरूदास को सात साल के कारावास की सजा देने के अलावा दस हजार रूपये जुर्माना भी लगाया। गुरूदास को पीड़िता के साथ दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया गया है। सजा का ऐलान करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि जुर्माना भरने में विफल रहने पर गुरूदास को 30 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।


मुख्य आरोपी गुरूदास के अलावा, नारी निकेतन की तत्कालीन अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल समेत आठ अन्य आरोपियों को भी दो से लेकर पांच साल तक के कारावास की सजा सुनाई गयी है। अभिरक्षा में पीडिता के यौन उत्पीडन के दोषी होमगार्ड ललित बिष्ट और केयर टेकर मोहम्मद हाशिम को पांच साल के कारावास की सजा के अलावा उन पर दस-दस हजार रूपये का जुर्माना भी ठोंका गया है।


नारी निकेतन के स्टॉफ चंद्रकला छ़ेत्री, किरण नौटियाल, अनीता मंदोला और शमा निगार को साजिश रचने के लिये चार-चार साल के कारावास की सजा दी गयी है। नारी निकेतन की पूर्व अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल और एक शिक्षक कृष्ण कांत को साक्ष्य छिपाने का दोषी मानते हुए दो-दो साल की सजा और पांच-पांच हजार रू का जुर्माना लगाया गया है।


नारी निकेतन की मूक-बधिर संवासिनी से दुष्कर्म करने और उसके बाद गर्भपात करवाने का यह सनसनीखेज मामला 2015 का है। पीड़िता का गर्भपात करवा कर उसका भ्रूण शेल्टर होम के प्रांगण में ही दफना कर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया था।