Dehradun News: देहरादून के चकराता क्षेत्र में सीजन की पहली बर्फबारी के बाद प्रशासन और विभिन्न विभागों ने शीत ऋतु में राहत कार्यों के लिए कमर कस ली है. दुर्गम क्षेत्रों में बर्फबारी से जनजीवन प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए सभी संबंधित विभागों को अलर्ट पर रखा गया है. एसडीएम चकराता ने अधिकारियों को विशेष सतर्कता बरतने और आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
चकराता क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में बर्फबारी के कारण छात्र-छात्राओं का विद्यालय पहुंचना कठिन हो जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए ब्लॉक के 156 सरकारी विद्यालयों में 25 दिसंबर से 31 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश की घोषणा की गई है. इनमें 12 राजकीय इंटर कॉलेज, 10 उच्च माध्यमिक विद्यालय, 10 उच्च प्राथमिक विद्यालय और 124 प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं. खंड शिक्षाधिकारी बुशरा ने बताया कि शीतकालीन अवकाश की यह व्यवस्था हर साल बर्फबारी के कारण बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर लागू की जाती है.
बर्फबारी के देखते हुए प्रशासन ने उठाए करते सख्त कदम
भारी बर्फबारी के दौरान रास्तों के बंद होने और आपूर्ति में बाधा को देखते हुए प्रशासन ने तीन महीने का एडवांस राशन भेजने की व्यवस्था की है. चकराता, त्यूणी, सावड़ा, अटाल, लाखामंडल और कोरुवा स्थित छह खाद्यान्न गोदामों में दिसंबर, जनवरी और फरवरी के लिए राशन इसी सप्ताह पहुंचाया जा रहा है. जिला पूर्ति अधिकारी केके अग्रवाल ने बताया कि कालसी ब्लॉक को छोड़कर बाकी सभी गोदामों में राशन भेजने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके.
बर्फबारी के दौरान मोटर मार्गों पर बर्फ जमने से रास्ते बंद हो जाते हैं, जिससे आवागमन बाधित हो सकता है. इस समस्या से निपटने के लिए सड़क निर्माण विभाग ने आठ जेसीबी और एक स्नो कटर तैनात किया है. इसके अलावा, मुख्य सड़कों पर चूने का छिड़काव शुरू कर दिया गया है ताकि फिसलन कम हो सके. विशेष रूप से त्यूणी-चकराता-मसूरी-मलेथा राष्ट्रीय राजमार्ग और कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर ध्यान केंद्रित किया गया है, क्योंकि ये मार्ग भारी बर्फबारी के दौरान सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.
ऊंचाई वाले क्षेत्र में शून्य से नीचे हो जाता है पारा
चकराता के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के दौरान तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, जिससे जलस्रोतों का पानी जम जाता है. इस स्थिति में ग्रामीणों को पेयजल के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. गांवों में जलापूर्ति बंद हो जाने के कारण ग्रामीण घरों की छतों पर जमी बर्फ को इकट्ठा कर चूल्हे पर गर्म करके पीने के लिए पानी तैयार करते हैं. मुंडोई, उंदावा, लोहारी, कोटि, त्युना, मंगटाड और अन्य गांवों में तीन से पांच फीट तक बर्फ जमने की सूचना है.
दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोग शीत ऋतु से पहले अपनी तैयारियां कर लेते हैं. ग्रामीण तीन महीने के लिए खाद्यान्न और दैनिक उपयोग के सामान का स्टॉक पहले ही जुटा लेते हैं. भोजन बनाने और बर्फ पिघलाने के लिए लकड़ी का इंतजाम भी किया जाता है. वहीं, पशुपालक बर्फबारी शुरू होने से पहले अपने पशुओं के साथ निचले इलाकों की ओर रुख करते हैं.
चकराता और आसपास के दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोग बर्फबारी के दौरान कठिन जीवन व्यतीत करते हैं. तापमान माइनस में पहुंचने के कारण जहां जलस्रोत जम जाते हैं, वहीं सड़कों पर बर्फ की मोटी परतें आवागमन को मुश्किल बना देती हैं. ग्रामीणों ने बताया कि रात के समय सर्दी और बढ़ जाती है, जिससे पानी के उपयोग में दिक्कत होती है. फिर भी, ग्रामीण अपने सामूहिक प्रयासों और परंपरागत तरीकों से इन मुश्किलों का सामना करते हैं. प्रशासन ने बर्फबारी के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं. खाद्यान्न आपूर्ति, सड़क मार्गों की सफाई और आवश्यक सेवाओं को सुचारु बनाए रखने के लिए टीमों को तैनात किया गया है.
बर्फबारी ने बढ़ाई ठंड
एसडीएम चकराता ने कहा कि सभी संबंधित विभागों के अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहेंगे और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहेंगे. चकराता में सीजन की पहली बर्फबारी ने जहां ठंड के असर को बढ़ा दिया है, वहीं प्रशासन और ग्रामीणों ने मिलकर इससे निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. यह सामूहिक प्रयास सुनिश्चित करेगा कि क्षेत्र के लोगों को आवश्यक सेवाओं की कमी न हो और वे कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकें.
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