देहरादूनः भारत-पाक युद्ध 1971 के पचास वर्ष पूरे होने पर स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मनाया गया. इस युद्ध में पाकिस्तान को भारत के हाथों हार का सामना करना पड़ा. शहीद गार्ड्स मैन सुंदर सिंह की पत्नी अमरा देवी ने सबसे पहले स्वर्णिम विजय मशाल को पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, कर्नल राजेंद्र प्रसाद, रावल हरीश सेमवाल, कमांडर हेमंत कुमार सूबेदार रोशन कुमार ने श्रद्धांजलि दी.


कार्यक्रम में उन वीर सपूतों को श्रद्धासुमन अर्पित किए जिन्होंने देश की आन बान शान के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया. 1971 भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना की विजय गाथा में उत्तराखंड के जवानों का बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है. इस युद्ध में उत्तराखंड के 255 सपूत शहीद हुए थे. 1971 के युद्ध में दुश्मनों से मोर्चा लेते हुए राज्य के 78 सैनिक घायल भी हुए इन वीर सैनिक के अदम्य साहस का लोहा पूरी दुनिया ने माना.


1971 के युद्ध में प्रदेश के 74 जवानों को वीरता पदक से अलंकृत किया गया. आज हमारी सेना दुनिया में सबसे ताकतवर सेना के रूप में है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हमारी सेना ने अपने शौर्य समर्पण से जो परंपरा स्थापित की है वह अतुलनीय है.


देश के ऊपर जब भी कोई संकट आया है तो हमारी सेना ने उस चुनौती को सबसे पहले कबूल किया और इसका असरदार जवाब भी दिया. नए हिंदुस्तान, नया भारत, नई रीति और नई नीति के साथ आगे बढ़ रहा है, उसमें सबसे बड़ा योगदान हमारे जांबाजों के शौर्य, अनुसाशन औऱ समर्पण का है.


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