(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Uttarakhand: स्वास्थ्य चिंतन शिविर में मनसुख मांडविया बोले- 'इस अमृकाल में विकसित करें अपना स्वास्थ्य मॉडल'
Uttarakhand News: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने अपने भाषण में कहा, ‘‘यह चिंतन शिविर हमें स्वास्थ्य क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर गहराई से विचार करने का अवसर प्रदान कर सकता है.’’
Uttarakhand News: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) ने शुक्रवार को कहा कि स्वास्थ्य चिंतन शिविर एक राष्ट्रीय बैठक है, जो सबसे कल्याणकारी योजनाएं तैयार करने के उद्देश्य से नीतियों को समृद्ध बनाने के लिए विभिन्न राज्यों से अंतर्दृष्टि, श्रेष्ठ व्यवहारों, मूल्यवान अनुभवों और सुझावों को साझा करने में सक्षम बनाती है. मांडविया ने शुक्रवार को देहरादून (Deharadun) में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद के 15वें सम्मेलन दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर का उद्घाटन किया.
इस अवसर पर उनके साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और प्रो. एसपी सिंह बघेल तथा नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल भी शामिल हुए. सम्मेलन में भाग लेने वाले राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों में धन सिंह रावत (उत्तराखंड), रजनी विदाला (आंध्र प्रदेश), अलो लिबांग (अरुणाचल प्रदेश), केशब महंत (असम), ऋषिकेश पटेल (गुजरात), बन्ना गुप्ता (झारखंड), दिनेश गुंडू राव (कर्नाटक), सपम रंजन सिंह (मणिपुर), डॉ. आर. लालथ्यांगलियाना (मिजोरम) और थिरु मा. सुब्रमण्यम (तमिलनाडु) शामिल रहे.
सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री रहे शामिल
विचार-मंथन सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक, सिक्किम के पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री बीएस पंत, मध्य प्रदेश के राज्य चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, पुडुचेरी के लोक निर्माण मंत्री लक्ष्मी नारायणन भी इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं.
स्वास्थ्य मॉडल को विकसित करने पर हो काम
मांडविया ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, ‘‘यह चिंतन शिविर हमें स्वास्थ्य क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर गहराई से विचार करने का अवसर प्रदान कर सकता है.’’ उन्होंने भारत में स्वास्थ्य सेवा के भविष्य पर बात की और कहा, “इस अमृत काल में, आइए हम अपने ज्ञान से प्रेरणा लें और अपना स्वयं का स्वास्थ्य मॉडल विकसित करें. हमें विभिन्न राज्यों से कुष्ठ, टीबी, सिकल सेल एनीमिया आदि बीमारियों का बोझ हटाने और राज्यों को पीएम-जेएवाई कार्ड से परिपूर्ण बनाने का संकल्प लेना चाहिए.’’
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