Dehradun News: दून यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाई जाती हिंदी और संस्कृत, वाइस चांसलर ने बताई वजह
Doon University: 2009 से लेकर आजतक दून यूनिवर्सिटी में हिंदी और संस्कृत के टीचर के पद स्वीकृत नहीं हुए हैं. जिस वजह से यहां आज तक न ही हिन्दी और न ही संस्कृत का परमानेन्ट कोर्स शुरू हो पाया है.
Doon University Recruitment: उत्तराखंड के देहरादून में स्थित दून यूनिवर्सिटी राज्य के सबसे बड़े विश्वविद्यालय में से एक है, जो राज्य सरकार द्वारा 2005 में बनाई गई थी. लेकिन अभी तक आपने सुना होगा कि विश्वविद्यालय में सभी सब्जेक्ट पढाए जाते हैं. आपको हैरानी होगी कि दून यूनिवर्सिटी में हिंदी और संस्कृत की पढ़ाई ही नहीं होती है.
2009 से हिंदी-संस्कृत के पद स्वीकृत नहीं
ऐसे में यूनिवर्सिटी में हिंदी विषय की पढ़ाई कभी नहीं हुई. यूनिवर्सिटी में संस्कृत विषय का भी यही हाल है. यहां हिंदी और संस्कृत दोनों भाषाएं दम तोड़ रही हैं. 2009 से लेकर आजतक दून यूनिवर्सिटी में हिंदी और संस्कृत के टीचर के पद स्वीकृत नहीं हुए हैं. जिस वजह से यहां आज तक न ही हिन्दी और न ही संस्कृत का परमानेन्ट कोर्स शुरू हो पाया है. बार-बार सरकार के पास फाइल भेजी गई, मगर आज तक सरकार की तरफ से अप्रूवल ना मिलने की वजह से टीचर्स के पदों पर भर्ती नहीं हो पाई है.
हिन्दी-संस्कृत अनिवार्य तौर पर पढ़ाना जरूरी
गौरतलब है कि देश के सभी विश्वविद्यालयों में हिन्दी और संस्कृत अनिवार्य सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाना जरूरी है. लेकिन आप सबको यह जानकर हैरानी होगी कि जब से यूनिवर्सिटी चल रही है, तब से यहां हिन्दी सब्जेक्ट ही नहीं पढ़ाया जाता है. यही हाल संस्कृत विषय का भी है. हांलाकि यूजीसी के नियमों के मुताबिक यहां संस्कृत का सर्टिफिकेट कोर्स पढ़ाया जा रहा है. इसमें भी पढ़ाने के लिए केन्द्र से ही टीचर भेजा गया है. छात्रों का कहना है कि हम हिंदी और संस्कृत पढ़ना चाहते हैं, लेकिन यहां पढ़ नहीं सकते.
सरकार का पास लटकी है फाइल
इस पर दून यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, मगर आज तक फाइल लटकी हुई है. अब नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत कोशिश होगी कि अगले सेशन से लैंग्वेज कोर्स में हिन्दी संस्कृत को जोड़ा जा सके.
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