Dehradune Indira Market: देहरादून की इंदिरा मार्केट (Indira Market) के री-डेवेलपमेंट (Re-Development Work) का काम पूरी तरीके से ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में यहां दुकान चलाने वाले करीब 600 व्यापारी (Traders) मंझधार में फंस गए हैं. दरअसल, इंदिरा मार्केट की दुकानों को तोड़ने में तो प्रशासन ने खूब तेजी दिखाई, लेकिन नई बिल्डिंग का निर्माण महज 2 फ़ीसदी काम होने के बाद ही ठप हो गया. अब नई बिल्डिंग (New Building) में दुकान मिलने का इंतजार कर रहे व्यापारियों की परेशानियां बढ़ गई हैं.
सरकार बदलते ही ठंडे बस्ते में गया काम
दरअसल, इंदिरा मार्केट री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को 2017 में मंजूरी मिली थी. इसके साथ ही इसका काम शुरू कराया गया. लेकिन, सरकार बदलते ही काम ठंडे बस्ते में चले गया. दोबारा दिसंबर माह 2022 में भूमि पूजन कराया गया और 2024 तक पहले चरण में 2 फ्लोर तैयार करने की समय सीमा भी तय की गई. लेकिन, महज दो फ़ीसदी काम के बाद निर्माण कार्य पूरी तरीके से ठप पड़ा हुआ है.
आइए जानते हैं क्या है पूरा प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट की लागत 242 करोड़ से अधिक की बताई जा रही है. 15 दिसंबर 2022 को प्रोजेक्ट का भूमि पूजन कराया गया था. इसके तहत पुरानी इंदिरा मार्केट की दुकानों को यहां पर शिफ्ट किया जाना है. इस मार्केट में एक हजार से अधिक वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था भी की जानी है. दरअसल एमडीडीए को इस नई बिल्डिंग के पहले चरण का काम 2024 तक पूरा करना है. लेकिन, काम की हालात देखकर तय समय सीमा में काम पूरा होगा, यह संभव नहीं लग रहा. इधर, एमडीडीए इसपर संबंधित कार्यदाई संस्था को नोटिस देने की बात कह रहा है.
व्यापार संघ के अध्यक्ष ने जतायी नाराजगी
व्यापार संघ के अध्यक्ष और बीजेपी के महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने भी इसको लेकर खासी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि काम बंद होने की बात को लेकर एमडीडीए को भी इस पर जल्द काम शुरू करने के लिए कहा गया है. व्यापारियों को आश्वासन दिया गया था कि 14 महीने में काम पूरा हो जाएगा, जबकि काम ठप पड़ा हुआ है और बहुत धीमी गति से चल रहा है.
आनन-फानन में तोड़ दी गई थीं दुकानें
इस मामले में भले ही एमडीडीए कार्यदायी संस्था को नोटिस देने की बात कर रहा हो. लेकिन, जिस तरह से आनन-फानन में व्यापारियों को उनकी पुरानी दुकानों से हटाया गया, उनके सामने अब बड़ा संकट खड़ा हो गया है. जिस तरह से काम में धीमी गति देखने को मिल रही है, उसको देखते लगता नहीं है कि तय सीमा 2024 तक पहले चरण का काम पूरा हो पाएगा. इससे व्यापारियों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
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