Uttarakhand Weather Update: उत्तराखंड में आफत की बारिश से अभी राहत नहीं मिलेगी. पांच अगस्त तक उत्तराखंड में मौसम विभाग ने फिर से भारी बारिश का अलर्ट जारी कर दिया है. दो और तीन अगस्त को कुमाऊं में चार और पांच अगस्त को गढ़वाल क्षेत्र में कहीं-कहीं बहुत भारी बारिश की संभावनाएं बन रही हैं.


लगातार हो रही बारिश
पिछले करीब 12 दिनों से उत्तराखंड में हो रही बारिश से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है. ऐसे में फिर से मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों तक उत्तराखंड में भारी तो कहीं-कहीं बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग की मानें तो दो और तीन अगस्त को जहां कुमाऊं में भारी बारिश होगी तो वहीं चार और पांच अगस्त को गढ़वाल के अधिकतर इलाकों में भारी बारिश की संभावनाएं बन रही हैं.  


लोगों को दी गई सतर्क रहने की सलाह
उत्तराखंड में मौसम के अलर्ट लगातार पिछले कई दिनों से जारी हो रहे हैं. अगस्त महीने की शुरुआत से बारिश से कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी वो भी अब नहीं मिल पाएगी. मौसम विभाग ने पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करने, नदी किनारे रहने वाले लोगों और संवेदनशील इलाकों के गांव वासियों को सतर्क रहने की सलाह दी है. मौसम विभाग का कहना है कि लगातार बारिश से उत्तराखंड में भूस्खलन, सड़कों के अवरुद्ध रहने के साथ ही पत्थर गिरने जैसी घटनाएं होंगी, ऐसे में लोगों को अपनी ओर से पूरे एहतियात के साथ रहने की जरूरत है. 


सड़कें बंद कई लिंक मार्ग बाधित
उत्तराखंड में लगातार पिछले कई दिनों से बारिश हो रही है. राष्ट्रीय राजमार्गों सहित लिंक मार्ग भी बार-बार बाधित हो रहे हैं. हालांकि, इनको खोलने का काम भी लगातार चल रहा है. कई सड़कें खोलने के बाद फिर से मलबा आने से बंद हो रही हैं. अभी पांच अगस्त तक के मौसम अलर्ट से संभावित है कि ऐसी दिक्कतों से लोगों को दो-चार होना पड़ेगा.


दर्जनों वाहन फंस गए हैं
उधर, टनकपुर तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग पर ग्वाल गांव के एलधारा के पास भारी मात्रा में मलबा आने से टनकपुर तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित हुआ है. मुनस्यारी-जौलजीबी मार्ग में बीती रात से भारी बारिश होने से पहाड़ियों से गिरे बोल्डरों से घिंघरानी के पास सड़क बंद होने से दर्जनों वाहन फंस गए हैं. पहाड़ों की रानी मसूरी जाने वाले यात्रियों को भी इसी दिक्कत से गुजरना पड़ रहा है. कई बार देहरादून-मसूरी मार्ग पर भी मलबा आने से ये मार्ग बाधित हो रहा है. जबकि, पहाड़ों में कई लिंक मार्ग टूटने से कई गांव के लोगों को पैदल चलकर ही अपने काम के लिए आना-जाना पड़ रहा है.


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