Dehradun News: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक शख्स की सरकारी नौकरी सांप की वजह से लग गई है. देहरादून के झाझरा में रहने वाले आदिल नाम के इस शख्स को नौकरी किसी सोर्स सिफारिश से नहीं बल्कि नागराज की कृपा से लगी है. दरअसल, सालों से सांप पकड़ने का काम कर रहे आदिल के कुछ वीडियो स्थानीय लोगों ने उस वक्त बनाए, जब यह लोगों के घरों में जाकर सांप पकड़ रहे थे. बाद में वीडियो के माध्यम से लोग उन्हें पहचानने लगे, इसके बाद खुद आदिल ने अपने सांप पकड़ने के वीडियो बनाए और उसे यूट्यूब पर अपलोड करना शुरू कर दिया.


सांप पकड़ने के काम से मिली पहचान
आदिल बताते हैं कि वह इस काम को लगभग 20 साल से भी पहले से कर रहे हैं. पहला सांप उन्होंने अपनी जिंदगी में उस वक्त पकड़ा जब वह कक्षा 5 में पढ़ा करते थे, उसके बाद उन्हें सांपों से इतना प्रेम हुआ कि उन्होंने सांप के बारे में पढ़ना शुरू कर दिया. वह सांपों की जानकारी के लिए उनकी प्रजातियों के बारे में पढ़ने के लिए किताबें खरीदते और धीरे-धीरे उनका यह शौक एक जुनून में तब्दील हो गया. बेहद मध्यम परिवार के रहने वाले आदिल सांप पकड़ने के साथ-साथ इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर लिया करते थे. लेकिन आसपास के क्षेत्र में जैसे ही कोई सांप निकलने की सूचना मिलती तो लोग उन्हें फोन कर देते और आदिल भी सांप पकड़ने का काम बड़े मन से करते.


अधिकारियों को थी किसी रवि जैसे इंसान की तलाश 
धीरे-धीरे आदिल  की जानकारी शहर में सार्वजनिक होती रही. इसी दौरान वन विभाग में तैनात कॉन्स्टेबल रवि जो वन विभाग में खतरनाक जानवरों के रेस्क्यू के लिए जाने जाते थे, उनकी कैंसर से मौत हो गई. वन विभाग के पास रवि जैसा होनहार कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था लिहाजा वन विभाग भी ऐसे किसी इंसान की तलाश में जुटा हुआ था जो सांपों का रेस्क्यू आसानी से कर सके. वन विभाग को आदिल की कुछ वीडियो प्राप्त हुई लिहाजा वन विभाग ने आदिल की खोज शुरू कर दी. आदिल से मिलने के बाद वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों ने पहले तो उन्हें ₹500 प्रति सांप रेस्क्यू करने की पेशकश की जिसमें आदिल राजी हो गए.


आदिल बताते हैं कि ₹500 के हिसाब से उन्होंने विभाग के लिए पहले कई सांप पकड़े लेकिन विभाग को उनका काम इतना पसंद आया कि विभाग ने उनको अपने यहां नौकरी देने का मन बना लिया. देहरादून के आसपास के क्षेत्रों में हर रोज दर्जनों सांप निकलते हैं जंगलों से घिरा हुआ इलाका होने की वजह से वन विभाग के पास रोजाना ऐसी सैकड़ों कॉल आती लेकिन उस कॉल के निस्तारण के लिए विभाग किसको भेजें. इस बात को लेकर अधिकारी भी परेशान रहते थे, 1 दिन में अगर 10 जगह भी सांप निकल गए तो विभाग की जेब से मोटा पैसा खर्च हो रहा था. लिहाजा विभाग ने आदिल की फाइल को टेबल पर घुमाना शुरू किया और विभाग के अधिकारियों की पहल की वजह से आदिल को वन विभाग ने अब संविदा नौकरी पर रख लिया है.


उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख विनोद कुमार सिंघल बताते है कि बारिश के दिनों में खास कर विभाग को ऐसे व्यक्ति की तलाश रहती है. हमारी क्यूक रिस्पॉन्स टीम में अब आदिल काम कर रहे है और लगता है कि ये भी रवि जैसा बेहतर काम करेंगे. नौकरी लगने के बाद आदिल बताते हैं कि मुझे याद है कि मैंने पहला सांप पानी वाला पकड़ा था और मैं उस समय कक्षा 5 का छात्र था. इसके बाद मैंने कई सांप पकड़े और कई सांपों को सुरक्षित जंगलों में छोड़ा. लोग अक्सर सांप को देखकर उन्हें मारने की कोशिश करते हैं. लेकिन लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए. वह आसपास के इलाकों में घूमकर सांपों के प्रति लोगों को जागरूक भी करते हैं और आदिल बताते हैं कि लगभग 300 सांपों की प्रजातियां हैं. जिनमें से कुछ ही सांप ऐसे हैं जो इंसान के लिए खतरनाक होते हैं. सांप की वजह से ही उनकी नौकरी लगी है और वह वन विभाग में नौकरी पाने के बाद बेहद खुश हैं. 


हर साल जाती है सांप के काटने से कई लोगों की जान 
बता दें कि उत्तराखंड में हर साल जंगली जानवरों और इंसानों के बीच खूब संघर्ष की खबरें आती है. प्रदेश में गुलदार बाघ और सांप से सालाना कई मौत होती है. इस साल भी जुलाई तक राज्य में 18 लोगों की जान गयी है. ऐसे में आदिल आसपास के जिलों में सांप पकड़ कर कई लोगो और सांपो की भी जान बचा सकेंगे.


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