Dehradun News: पिछले कुछ समय से उत्तराखंड (Uttarakhand) सहित देश के कई हिस्सों में भूकंप आने की घटनाएं लगातार होती रही हैं. भूकंप की इन घटनाओं को वैज्ञानिक सामान्य घटना करार दे रहे हैं और उनका कहना है कि भूकंप आने की घटनाएं अक्सर होती रही हैं. कम तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं और इनसे घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से सिस्मिक जोन फॉर में आता है, जो खतरनाक भी साबित हो सकता है.


उत्तराखंड समेत ये इलाके संवेदनशील 
देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर सुशील कुमार का मानना है कि रिक्टर स्केल पर कम तीव्रता के भूकंप अक्सर आते हैं और जनता में जागरूकता और तमाम नए उपकरणों के चलते इसकी जानकारी अब तुरंत सभी लोगों तक पहुंच जा रही है. इससे डरने और घबराने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि पहले भी अक्सर इसी तरह से कम तीव्रता के भूकंप की घटनाएं होती रही हैं. 


भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड समेत कई इलाके संवेदनशील इलाकों में आते हैं. इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक सिस्मिक जोन 5 है, जहां 8 से 9 तीव्रता वाले भूकंप के आने की संभावना रहती है. सिस्मिक जोन 5 में देश का पूरा पूर्वोत्तर इलाका, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई क्षेत्र, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है. सिस्मिक जोन 4 भी खतरनाक श्रेणी में आता है, इसमें भूकंप की तीव्रता 7.9 रहती है. इसमें दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के इलाके, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है. 


क्यों आता है भूकंप?
सिस्मिक जोन 3 मध्यम खतरनाक होता है, इसमें भूकंप की तीव्रता सात या उससे कम होती है.  इसमें केरल, गोवा, लक्षद्वीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं. सिस्मिक जोन 2 कम खतरनाक जोन माना जाता है, इसमें वो इलाके आते हैं जो सिस्मिक जोन 5, 4 और 3 शामिल नहीं हुए हैं. यहां 4.9 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आने का खतरा नहीं है.


वैज्ञानिक बताते है कि भूकंप कैसे और क्यों आता है, इसे वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्वी की संरचना को समझना होगा. दरअसल, ये पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेट्स जो लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.


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