Dehradun News: उत्तराखंड (Uttarakhand) के डिग्री कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव का बिगुल बज चुका है. कोरोना के दो साल बाद हो रहे छात्रसंघ चुनाव घोषित होने के बाद टिकट के दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं. डीएवी पीजी कॉलेज में भी एबीवीपी, एनएसयूआई, एबीवीपी से बागी गुट अलग हो गए हैं. सत्यम ग्रुप समेत आर्यन संगठन जोर-शोर से चुनावों की तैयारी में जुटे है. कॉलेजों में इन दिनों पढाई से ज्यादा चुनावों का हल्ला सुनाई दे रहा है.
बता दें कि कोरोना के 2 साल बाद हो रहे छात्र संघ चुनावों में एबीवीपी और एनएसयूआई की सीधी टक्कर मानी जा रही है. इसके अलावा सत्यम ग्रुप, शिवम ग्रुप भी एबीवीपी और एनएसयूआई के लिए बड़ी चुनौती बन कर सामने खड़े हैं. यही वजह है कि कॉलेज बैनर, पोस्टर से पूरी तरह भरा हुआ है, हालांकि अभी किसी भी छात्र संगठन ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं. कॉलेज में जोर-शोर से चुनाव प्रचार शुरू हो गया है. उधर बगावत को देखते हुए प्रमुख संगठन देरी से उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करेंगे.
क्या है पूरा मामला?
एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष सौरभ ममगाईं ने बताया कि संगठन ने चुनाव की तिथि घोषित कर दी है और एनएसयूआई पूरी तरह से छात्रसंघ चुनावों के लिए तैयारी में जुटा है. इस बार कॉलेजों में एनएसयूआई का कब्जा होगा. उधर एबीवीपी भी छात्र संघ चुनावों के लिए जोर शोर से तैयारी में जुटा है. बागी गुट से सुमित कुमार और हनी सिसोदिया भी अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रहे हैं. हालांकि, इनके लिए यह परीक्षा आसान नहीं होने वाली है.
एक तरफ योग्यता और आपराधिक मुकदमे की परीक्षा में इन्हें पास होना है, तो दूसरी ओर गुटबाजी से भी पार पाना है. इस साल छात्रसंघ चुनाव राजनीतिक दलों के लिए भी वर्चस्व की लड़ाई में नजर आ रहे हैं, इसलिए अंदर खाने तमाम बड़े नेता भी छात्र संघ चुनाव में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, क्योंकि कोरोना के 2 साल बाद कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव हो रहे हैं और इसके बाद निकाय चुनाव होने हैं. ऐसे में पार्टियां यह चाह रही हैं कि कॉलेजों में यदि कब्जा कर लेते हैं तो यूथ का वोट उनकी तरफ जुड़ जाएगा.
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