21 साल बाद भी यूपी- उत्तराखंड में नहीं हुआ परिसंपत्तियों का बंटवारा, जानिए किसको क्या मिलना है बाकी
पिछली बैठक अगस्त 2019 को लखनऊ में हुई थी. उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच कई मामलों पर सहमति बन गई थी लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई.
Uttrakhand News: अपने गठन के 21 साल बाद भी उत्तराखंड परिसंपत्तियों के बंटवारे का दंश झेल रहा है. इसको लेकर अनगिनत बैठकें बेनतीजा रहीं. कभी यूपी में बसपा तो कभी सपा सत्तारूढ़ रही और उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी. इसके चलते भी बंटवारे की बातचीत की गति बेहद धीमी रही. राजनीति में ऐसा संयोग कम ही देखने को मिलता है जब दो राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद हो और केंद्र समेत दोनों राज्यों में एक ही राजनीतिक दल की सरकार हो.
21 साल से है विवाद
फिलहाल यह संयोग तो है लेकिन परिणाम नहीं निकला. यूपी और उत्तराखंड के बीच पिछले 21 साल से परिसंपत्तियों को लेकर विवाद है. पिछले पांच साल से केंद्र, यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार है लेकिन अभी भी बंटवारा नहीं हो पाया. लखनऊ और देहरादून में पिछले दो दशक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच दर्जनों बैठक हो चुकी हैं लेकिन एक ही राजनीतिक दल की सरकारे होने से जो परिणाम आना चाहिए था वो नहीं आया. चुनाव से पहले इस बैठक पर विरोधी दलों की भी नज़र है, कहीं यह बैठक चुनावी मुद्दा मात्र तो नहीं रहेगी ?
2019 में हुई थी आखिरी बैठक
पिछली बैठक अगस्त 2019 को लखनऊ में हुई थी. उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच कई मामलों पर सहमति बन गई थी लेकिन एक भी परवान नहीं चढ़ी. लोगों को उम्मीद थी कि दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में भी बीजेपी, इसलिए सुखद परिणाम सामने आएंगे.
नहरों का कंट्रोल यूपी के पास
इससे भी खास बात यह थी कि यूपी के मुख्यमंत्री भी उत्तराखंड के रहने वाले हैं इसलिए कोई बाधा नहीं होगी. लेकिन चीजें आगे नहीं बढ़ी. हालांकि पेंशन के रूप में यूपी की दो बार में लगभग 6000 करोड़ से ज्यादा की धनराशि उत्तराखंड को मिली. मजे की बात यह है कि उत्तराखंड के हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिले में दो दर्जन नहर ऐसी हैं जो राज्य की सीमा से शुरू होकर राज्य में ही खत्म होती है, लेकिन नियंत्रण यूपी का है. किसानों से सिंचाई के पानी का लगान यूपी सिंचाई विभाग वसूलता है. इन नहरों को भी यूपी ने अभी तक नहीं दिया.
नहीं निकला नतीजा
हालांकि उस बैठक के बाद उत्तराखंड से भी बहुत कायदे की पैरवी नहीं हो पाई और यूपी के मुख्यमंत्री के पास बहुत काम होता है, इसलिए सब जहां का तहां रुक गया. अब फिर उत्तराखंड सरकार को अपनी परिसंपत्तियों की याद आई, जिनके लिए लखनऊ में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक होने जा रही है. यह बैठक भी पहली बैठकों की तरह संख्या मात्र बढ़ाने वाली होगी या इस मंथन से कुछ निकलेगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन ऐसा समय के ये समीकरण कम ही देखने को मिलते है जब दोनों राज्य और केंद्र में बीजेपी की ही सरकार है और परिणाम उस रूप में सामने नहीं आ सके जैसी उम्मीद थी.
'बेहतर परिणाम की उम्मीद'
लखनऊ में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दोनों राज्यों के बीच परिसम्पत्तियों को लेकर बैठक है, प्रयास जारी है और इस बैठक के बेहतर परिणाम सामने आएंगे. क्योंकि हम वहीँ मांग रहे है जो हमारा अधिकार बनता है, यूपी सरकार भी सकारात्मक है. नतीजे अच्छे आएंगे.
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का शेष बंटवारा
उधमसिंह नगर, हरिद्वार और चम्पावत में 1315 हेक्टेयर भूमि और 351 भवनों का हस्तांतरण होना है.
कुम्भ मेला क्षेत्र हरिद्वार में 697 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण होना है.
हरिद्वार में भीमगौड़ा बैराज की क्षमता बढ़ाने के लिए 665 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराना है.
हरिद्वार और उधमसिंह नगर में ऐसी 24 नहरों का नियंत्रण यूपी से उत्तराखंड को मिलना है जो उत्तराखंड की सीमाओं के भीतर ही खत्म हो जाती है, यानि जिनका हेड और टेल दोनों उत्तराखंड में है और जिसके पानी का लगान और आबपासी यूपी वसूल करता है.
किच्छा में रोडवेज स्टैंड पर 0.348 हेक्टेयर भूमि यूपी सिंचाई से उत्तराखंड रोडवेज को मिलनी है.
यूपी ऊर्जा विभाग से उत्तराखंड ऊर्जा विभाग को 1.56 करोड़ मिलना है.
मनेरी भाली हाइड्रो प्रोजेक्ट में एलआईसी से लिया गया 552 करोड़ का ऋण देना है.
टीएचडीसी हाइड्रो में यूपी की 25 प्रतिशत अंशपूंजी उत्तराखंड को हस्तांतरित होनी है.
रामगंगा बांध, शारदा नहर खटीमा, हरिद्वार जिले में पथरी और मोहम्मदपुर हाइड्रो प्रोजेक्ट्स उत्तराखंड को मिलने है.
यूपीएसआरटीसी को यूटीसी (उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन) का 36 करोड़ रुपया चुकाना है.
अजमेरीगेट गेस्ट हाउस दिल्ली, यूपीएसआरटीसी का लखनऊ मुख्यालय, कानपूर केंद्रीय कार्यशाला, एलन फारेस्ट कार्यशाला व ट्रेनिंग सेंटर की संपत्ति का विभाजन होकर उत्तराखंड को लगभग 227 करोड़ मिलने है.
पेंशन का तक़रीबन 1200 करोड़ बकाया है यूपी पर.
यूपी खाद्य नागरिक आपूर्ति से उत्तराखंड को 629 करोड़ मिलना है.
यूपी से उत्तराखंड वन विभाग को 77.31 करोड़ मिलना बाकी है.
यूपी से उत्तराखंड कृषि विभाग को 1.80 करोड़ रूपये मिलना शेष है.