देहरादून: संचार क्रांति के इस दौर में जब भारत में आज 5जी इंटरनेट की टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है तो वहीं इंटरनेट की इस दुनिया में कुछ गांव ऐसे भी हैं जो नेटवर्क कनेक्टिविटी जैसी मूलभत सुविधा से वंचित हैं. ग्रामीणों को मोबाइल फोन पर बात करने के लिए के लिए 5 से 7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. एक तरफ जहां लॉकडाउन के समय देश के बच्चे ऑनलाइन क्लास ज्वाइन कर रहे हैं तो वहीं गंगी गांव के बच्चे इंटरनेट से कोसों दूर हैं. भारत तिब्बत सीमा से सटे सीमांत गांव गंगी का हाल जानने के लिए एबीपी गंगा की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची. 


18वीं सदी का जीवन जीने को मजबूर हैं ग्रामीण
भिलंगना ब्लॉक का सीमांत गंगी गांव नई टिहरी जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूर भारत तिब्बत सीमा पर बसा है. करीब 150 परिवारों की आबादी वाला गंगी गांव आज भी डिजिटल इंडिया के इस दौर में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट से कोसों दूर है. आजादी के 70 साल के बाद भी ग्रामीणों को मोबाइल फोन पर बात करने के लिए 5 से 7 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. सूचना तकनीकी के अभाव में गंगी गांव के ग्रामीण 18वीं सदी का जीवन जीने को मजबूर हैं. आज जहां डिजिटल इंडिया के दौर में देश के बच्चे अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं वहीं, गंगी गांव के बच्चे बिना मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट के अपना भविष्य अंधेरे में जीने को मजबूर हैं.  


सुध लेने वाला कोई नहीं 
ये हाल टिहरी के सीमांत गांव गंगी ही नहीं बल्कि भिलंगना ब्लॉक के तिनगढ़, तोली, गेंवाली, जखाणा, मेड, मरवाडी, निवालगांव, पिसवाड सहित अन्य कई गांवों का है, जो आज भी मोबाइल नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे हैं. आपदा की दृष्टि से भी ये क्षेत्र संवेदनशील है, इसके बावजूद यहां पर नेटवर्क की समस्या बनी है. ऐसा नहीं है कि यहां के ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से नेटवर्क स्थापित करने की मांग ना की हो लेकिन अब तक ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है, वहीं डीएम का कहना है कि मोबाइल नेटवर्क सेवा के लिए मोबाइल कंपनी के अधिकारियों से वार्ता की जा रही है.