देहरादून में बढ़ते प्रदूषण से सांस के रोगियों की बढ़ी परेशानी, जानें AQI कितना हुआ दर्ज
Uttarakhand News: देहरादून में वायु प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ गया है. प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों का धुआं है. खुले में कूड़ा जलाना भी प्रदूषण को बढ़ाने में एक बड़ा कारण बनता है.
Dehradun Pollution: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक बार फिर से वायु प्रदूषण बढ़ गया है, जिससे यहां की आबोहवा सांस के रोगियों के लिए चिंता का कारण बन गई है. दीपावली के बाद कुछ दिन हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ था, लेकिन अब सर्दियों की शुरुआत के साथ ही फिर से स्थिति बिगड़ने लगी है. शनिवार को देहरादून का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 254 दर्ज किया गया, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक स्तर पर है.
सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का स्तर विशेष रूप से बढ़ जाता है. ठंडी हवा का घनत्व अधिक होने के कारण यह तेजी से फैल नहीं पाती और वातावरण में प्रदूषण के कण फंसे रहते हैं. इसके कारण प्रदूषण का स्तर लंबे समय तक ऊंचा बना रहता है.देहरादून जैसी घाटी वाले क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि यहां की भौगोलिक स्थिति प्रदूषण को अधिक समय तक वातावरण में रोके रखती है. इस कारण से प्रदूषित हवा के कण लंबे समय तक हवा में तैरते रहते हैं, जिससे एक्यूआई का स्तर बढ़ जाता है.
लगातार खराब हुआ एक्यूआई
देहरादून का एक्यूआई पिछले एक सप्ताह में लगातार खराब हुआ है. नौ नवंबर को यह 254 तक पहुंच गया,जबकि एक दिन पहले आठ नवंबर को यह 168 था. सात नवंबर को 147 और छह नवंबर को 165 के स्तर पर था. पांच नवंबर को यह 95 था, जो स्वास्थ्य के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है. एक्यूआई का स्तर 200 से अधिक होने पर इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद खराब माना जाता है.
प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों का धुआं
देहरादून में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण वाहनों का धुआं है. शहर में लगातार बढ़ते वाहन और यातायात के दबाव के कारण हवा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके अलावा, खुले में कूड़ा जलाना भी प्रदूषण को बढ़ाने में एक बड़ा कारण बनता है. सर्दियों में तापमान में गिरावट के कारण प्रदूषण के कण वातावरण में अधिक देर तक बने रहते हैं, जिससे एक्यूआई का स्तर और बढ़ जाता है.
क्या बोले डॉ.पराग मधुकर धकाते
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ.पराग मधुकर धकाते ने बताया कि इन दिनों वाहनों, उद्योगों, और अन्य माध्यमों से निकलने वाला प्रदूषण हवा में ही घूमता रहता है और समय पर साफ नहीं हो पाता. यही कारण है कि एक्यूआई का स्तर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक स्तर तक पहुंच गया है. दीपावली में की गई आतिशबाजी ने हवा में बहुत अधिक प्रदूषणकारी कण छोड़े, जो सर्दियों की शुरुआत के साथ ही वातावरण में ठहरे हुए हैं. यह स्थिति धीरे-धीरे और खराब हो रही है.
प्रदूषण का स्वास्थ्य पर बुरा असर
मौसम विशेषज्ञों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने विशेष रूप से सांस के रोगियों को सावधानी बरतने की सलाह दी है. दूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां और गंभीर हो सकती हैं.प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण सामान्य लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है.हवा में तैरते पीएम-2.5 और पीएम-10 के कण फेफड़ों में पहुंचकर कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकते हैं.
ये भी पढ़ें: रामनगर-कर्णप्रयाग रेलवे ट्रैक के सर्किट से बदलेगी उत्तराखंड की तस्वीर, पर्यटन को मिलेगी नई दिशा