Ukraine Russia War: 'बर्फबारी के बीच घंटों भूखे प्यासे रहे', यूक्रेन से लौटी छात्रा की आपबीती सुनकर आ जाएंगे आंसू
Dehradun: यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध के बीच देहरादून की छात्रा नमिता धीमान अपने घर वापस आ गई हैं. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा.
Ukraine Russia War: रूस और यूक्रेन के बिगड़ते हालातों के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों का आने का सिलसिला जारी है. इनमें ज्यादातर छात्र वो हैं जो वहां पर मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए गए थे. उत्तराखंड के भी करीब 260 नागरिक वहां फंसे हैं जबकि करीब 50 छात्र सकुशल घर वापस आ गए हैं. इनमें एक नाम देहरादून की नमिता धीमान का भी है जो यूक्रेन में एमबीबीएस सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही थीं. युद्ध के हालात के बीच जब वो अपने घर देहरादून पहुंची तो उनकी आंखों में आंसू आ गए.
नमिता धीमान ने सुनाई आपबीती
नमिता धीमान ने यूक्रेन के हालातों पर विस्तार से बताया, उन्होंने कहा कि जैसे ही रूस और यूक्रेन के हालात बिगड़ने लगे, तो भारत के नागरिकों की परेशानी भी उसी के साथ-साथ बढ़ने लगी थी, उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी ने उनसे कहा कि सायरन की आवाज बजते ही सभी स्टूडेंट बंकर में जाएं. जिसके बाद जब भी वहां सायरन की आवाज होती थी तो सभी स्टूडेंट बेसमेंट में बने बंकर में जाकर बैठ जाते थे. उसके बाद एंबेसी से सूचना मिली कि सभी को पौलेंड बॉर्डर पहुंचना है. बॉर्डर तक जाने के लिए सभी स्टूडेंट ने बस की व्यवस्था की और पौलेंड बॉर्डर के लिए निकल गए, पौलेंड बॉर्डर से पहले 20 से 25 किलोमीटर का जाम लगा था जिसके बाद वो 6 से 7 घंटे पैदल सफर तय कर पोलैंड बॉर्डर पहुंचे.
पौलेंड बॉर्डर पर हुई दिक्कत
नमिता धीमान ने बताया कि असली मुसीबत बॉर्डर पहुंचने के बाद शुरू हुई, क्योंकि वहां इतनी ज्यादा भीड़ थी कि कुछ भी पता लगा पाना मुश्किल हो रहा था. बॉर्डर पर खाने-पीने, रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी. ऊपर से बर्फबारी होने से बॉर्डर पर फंसे तमाम लोगों की मुसीबत बढ़ गई, क्योंकि यहां भारतीय नागरिकों के अलावा यूक्रेन के नागरिक और दूसरे देशों के नागरिक भी थे जो पौलेंड के जरिए अपने देश वापस जाना चाहते थे. नमिता ने 3 दिन पौलेंड बॉर्डर पर ही बिताये. जिसके बाद 28 तारीख की सुबह 3 बजे उन्हें बॉर्डर क्रॉस कर पौलेंड भेजा गया. जहां उन्हें एक होटल में अन्य भारतीय नागरिक के साथ ठहराया गया और उसके बाद भारतीय एंबेसी द्वारा कागजी कार्रवाई कर भारत भेजा गया.
भविष्य को लेकर हो रही है चिंता
नमिता धीमान अपने घर देहरादून पहुंच गई हैं और घर आकर वो काफी खुश भी हैं. जब वो यूक्रेन में फंसी थी उस वक्त उनके परिवार का बुरा हाल था वो बेसब्री से अपनी बेटी के लौटने का इंतजार कर रहे थे. नमिता की वापसी के बाद उन्होंने भी राहत की सांस ली है लेकिन अब नमिता को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से उनकी पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गई है.
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