(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Uttarakhand: दवा के नाम पर मरीजों की सेहत से खिलवाड़, जांच में फेल हुए 11 फार्मा कंपनियों के सैंपल
सीडीएससीओ ने देशभर की फार्मा कंपनियों के 1280 दवाइयों के सैंपल की जांच की जिनमें से कई तो इस टेस्ट में पास कर गए लेकिन इनमें 50 दवाइयों को मानक के अनुरूप नहीं पाया गया है.
Uttarakhand News: केंद्रीय दवा नियंत्रण मानक संगठन (CDSCO) की एक रिपोर्ट में उत्तराखंड (Uttarakhand) में दवाई बनाने वाली कंपनियों को लेकर बड़ा सच सामने आया है. उत्तराखंड में फार्मा कंपनियां (Pharma Company) मानकों की धज्जियां उड़ा रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दवाओं के सैंपल फेल होने में उत्तराखंड सबसे आगे है. सीडीएससीओ ने अक्टूबर महीने में देशभर की तमाम फार्मा कंपनियों द्वारा बनाई गई दवाओं के सैंपल लिए थे. जिसमें से उत्तराखंड राज्य की सबसे अधिक 11 फार्मा कंपनियों की दवाइयों के सैंपल मानकों के अनुसार फेल हुए हैं. इन दवाओं में अधिकतर बुखार, एंटीबायोटिक, दर्द, उल्टी और विटामिन की दवाइयां शामिल हैं.
केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन ने देश के विभिन्न राज्यों से तमाम कंपनियों की 1280 दवाइयों के सैंपल टेस्ट करवाए हैं. जिसमें से 1230 दवाइयां मानकों के अनुरूप पाई गई. तो वहीं, 50 दवाइयां ऐसी हैं जो केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन के मानकों पर ठीक नहीं उतर पाई. बड़ी बात ये है कि इन 50 दवा सैंपलों में से 11 दवाइयां उत्तराखंड में बनाई गई हैं. इसके अलावा गुजरात की 4, महाराष्ट्र की 1, पश्चिम बंगाल की 2, उत्तर प्रदेश की 7, मध्य प्रदेश की 6, राजस्थान की 1, बिहार की 2, सिक्किम की 2, हरियाणा की 1, दिल्ली की 1और तमिलनाडु की 3 दवाओं के सैंपल मानकों के विपरीत पाए गए हैं.
सैंपल फेल होने के पीछे औषधि नियंत्रक ने दिया यह तर्क
उत्तराखंड के औषधि नियंत्रक तेजबेर सिंह ने इस पूरे मामले पर अलग ही तर्क दिया है. तेजबेर सिंह का कहना है कि सबसे ज्यादा फार्म कंपनियां उत्तराखंड में स्थित हैं. यही वजह है कि सबसे ज्यादा दवाइयां यहां की कंपनियों के फेल हो रहे हैं. केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन सभी स्टेट से सैंपल को उठाता है और उसकी जांच करता है लेकिन दवाइयां किन वजहों से फेल हुई हैं यह देखना होगा. उन्होंने कहा कि ज्यादा सैंपल इकट्ठे किए जा रहे हैं जिसके कारण ज्यादा सैंपल फेल हो रहे हैं.
लिखित जानकारी पर की जाएगी कार्रवाई
इस मामले पर स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने कहा कि सैंपल फेल होने की लिखित जानकारी अभी नहीं मिली है, जैसे ही सैंपल फेल होने की लिखित जानकारी मिलेगी, उसके बाद संबंधित कंपनियों से जानकारी जुटाई जाएगी. साथ ही एफडीए एक्ट के तहत इन कंपनियों पर उचित धाराओं के तहत कार्रवाई भी की जाएगी.
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