Uttarakhand News: उत्तराखंड में शासन में मेरी फाइल-तेरी फाइल के चक्कर से सहकारिता विभाग (Uttarakhand Cooperative Department) में जिला सहकारी बैंकों (डीसीबी) (District Cooperative Banks) में हुई भर्तियों में गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट अटक गई है. जांच समिति दो महीने पहले ही जांच रिपोर्ट शासन (Uttarakhand government) को सौंप चुकी है, लेकिन इस पर कार्रवाई होना तो दूर, अभी तक जांच के तथ्यों का ही खुलासा नहीं किया गया है. उधर सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि विभागीय मंत्री के पास यह फाइल दो बार भेजी जा चुकी है, लेकिन वह उसे रिसीव नहीं कर रहे, जिससे खफा कांग्रेस भी विभागीय मंत्री पर गंभीर आरोप लगा रही है.


क्या था मामला
साल 2020 में जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के 432 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही विवादों में आ गई थी. इसके बाद 29 मार्च 2022 को विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत (Minister Dr. Dhan Singh Rawat) के आदेश पर देहरादून (Dehradun), ऊधमसिंह नगर (Udham Singh Nagar) और पिथौरागढ़ (Pithoragarh) डीसीबी की जांच के आदेश शासन की ओर से दिए गए थे. मामले में संयुक्त निबंधक सहकारी नीरज बैलवाल की अध्यक्षता में बनी जांच समिति तीनों जिलों की जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंप चुकी है. 


गणेश गोदियाल का आरोप
जांच समिति ने सबसे पहले जून में देहरादून डीसीबी, सितंबर में पिथौरागढ़ और अक्तूबर में ऊधमसिंह नगर डीसीबी की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी. इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मंत्री धन सिंह रावत को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा है कि जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी जा चुकी है लेकिन मंत्री उसको रिसीव इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उसमें गड़बड़ियां हैं. उन्होंने कहा कि विभागीय मंत्री पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.


धन सिंह रावत ने क्या कहा
उधर विभागीय मंत्री धन सिंह रावत ने पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि यह जांच रिपोर्ट उनके पास अभी तक आई नहीं है, जैसे ही यह रिपोर्ट उनके पास आएगी और यदि कुछ गड़बड़ी और खामियां पाई जाएंगी उसके आधार पर कार्यवाही की जाएगी.


सूत्रों की मानें, तो जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कूट रचना कर अंकों में छेड़छाड़ कर चहेतों को फायदा पहुंचाने, शैक्षणिक गतिविधियों के नंबरों में खेल, फर्जी खेल प्रमाणपत्रों के जरिए कुछ आवेदकों को लाभ पहुंचाने जैसी बातों का उल्लेख किया गया है.


बताया जा रहा कि यदि इस जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई तो जिला सहकारी बैंकों के अध्यक्ष, प्रबंधक और जिला सहायक निबंधक तक कार्रवाई की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट को शासन में एक टेबल से दूसरी टेबल में घुमाया जा रहा है और विभाग के मंत्री भी उससे कन्नी काट रहे हैं. अब देखना यह होगा कि यह रिपोर्ट कब तक मंत्री के टेबल पर पहुंचती है और मामले में मंत्री क्या कुछ कार्यवाही करते हैं.


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