Uttarakhand News: केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार (Narendra Modi Government) द्वारा उत्तराखंड के सीमांत गांवों को निखारने के लिए प्रयास जारी है. इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. आने वाले दिनों में चीन और नेपाल की सीमा से सटे उत्तराखंड के गांवों की न केवल तस्वीर बदलेगी, बल्कि वहां से पलायन पर भी अंकुश लग सकेगा. केंद्र सरकार का 'वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' (Vibrant Village Program) इसकी राह सुगम बनाएगा, जिसके क्रियान्वयन के लिए सरकार कार्ययोजना तैयार कर रही है. इसके तहत कई विकास कार्य कराए जाएंगे, जिससे वहां के लोगों को काफी फायदा होगा. 


इन मूलभूत सुविधाओं का होगा विस्तार
इसमें सीमांत गांवों में पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार जैसी मूलभूत सुविधाओं के विस्तार और आजीविका विकास पर मुख्य रूप से जोर दिया गया है. राज्य की 675 किलोमीटर सीमा चीन और नेपाल से सटी है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे जिलों के गांव पलायन का दंश भी झेल रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग यहां से रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों की तरफ जाते हैं. सरकार के इन कदमों से रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे. हालांकि, सीमांत गांवों के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम चल रहे हैं, लेकिन नई योजना से अब इसमें तेजी आएगी.


अधिकारी ने इसपर क्या बताया
अपर सचिव ग्राम्य विकास निकिता खंडेलवाल ने इसपर जानकारी देते हुए बताया कि, उत्तराखंड के सीमांत गांव में अब तक 51 गांवों का चिन्हीकरण किया गया है. यह 51 गांव उत्तराखंड के 3 जनपदों उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ से चिन्हित किए गए हैं. उत्तरकाशी के भटवाड़ी, चमोली के जोशीमठ और पिथौरागढ़ के मुनस्यारी, धारचूला कनालीछीना ब्लॉक में से गांवों को चिन्हित किया गया है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में उत्तराखंड के सीमांत गांवों की तस्वीर बदल सकती है.


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