UP News: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने हिरासत में प्रताड़ित करने के कारण 26 वर्षीय युवक की मौत के मामले में उत्तर प्रदेश के पांच पुलिसकर्मियों (UP Police) की दोषसिद्ध और उन्हें सुनाई गई 10 साल जेल की सजा को सोमवार को बरकरार रखा. यह मामला वर्ष 2006 का है.


अदालत ने पीड़ित का अपहरण करने के लिए छठे दोषी निरीक्षक कुंअर पाल सिंह को सुनाई गई तीन साल की सजा को भी बरकरार रखा. उच्च न्यायालय ने पुलिसकर्मियों द्वारा दायर उन अपील को खारिज कर दिया जिसमें मार्च 2019 में यहां की एक निचली अदालत द्वारा पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराने और उन्हें सजा सुनाने के फैसले को चुनौती दी गई थी.


न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ ने 60 पन्नों के फैसले में शिकायतकर्ता (पीड़ित के पिता) की उस अर्जी को भी खारिज कर दिया जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के बजाय दोषियों को धारा 302 (हत्या) के तहत दोषसिद्धि का अनुरोध किया गया था.


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क्या था पुलिस का दावा?
अभियोजन पक्ष के अनुसार, सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों ने सोनू को एक सितंबर, 2006 को उठाया और एक निजी वाहन में उसे नोएडा के सेक्टर 31 स्थित निठारी पुलिस चौकी ले गये. दो सितंबर 2006 को सुबह 3:25 बजे सोनू को नोएडा के सेक्टर 20 स्थित थाने के हवालात में बंद कर दिया गया. पुलिस ने दावा किया था कि वह डकैती के एक मामले की जांच के सिलसिले में वांछित था.


जांच में यह निष्कर्ष निकला कि मामले में झूठा फंसाए जाने के बाद सोनू ने सुबह करीब साढ़े पांच बजे आत्महत्या कर ली. उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के बारे में पुलिस के दावे को खारिज कर दिया और इस बात को माना कि रिकॉर्ड में गंभीर विसंगतियां थीं और सामान्य डायरी की प्रविष्टियों में ‘हेराफेरी’ की गई थी. उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर इस मामले की सुनवाई को वर्ष 2011 में नोएडा से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था.