UP News: उत्तर प्रदेश के देवबंद में दारुल उलूम द्वारा एक बैठक आयोजित किया गया. इस बैठक में मदरसों को किसी भी बोर्ड से संबद्ध किए जाने का विरोध किया गया. इस बैठक में कहा गया कि दुनिया का कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के मकसद को ही नहीं समझ सकता है, इसलिए किसी बोर्ड से जुड़ने का कोई मतलब नहीं बनता है. दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराए गए मदरसों के सर्वे के बाद दारुल उलूम सहित गैर सरकारी मदरसों को गैर मान्यता प्राप्त बताए जाने के बाद दारुल उलूम देवबंद का यह बड़ा निर्णय सामने आया है.


दरअसल, रविवार को दारुल उलूम देवबंद की मस्जिद में आयोजित देश भर के साढ़े चार हजार मदरसा संचालकों के सम्मेलन के बाद जमीयत उलेमा हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद और उलेमा ने देश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाई है. मदरसों के स्थापना का मकसद ही देश की आजादी थी. इसके साथ ही मौलाना ने कहा कि मदरसों के लोगों ने ही देश को आजाद कराया जो अपने देश से बेपनाह मोहब्बत करते हैं, लेकिन दुख की बात है कि आज मदरसों के ऊपर ही प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं और मदरसे वालों को आतंकवाद से जोड़ने के निंदनीय प्रयास किए जा रहे हैं. 


UP Politics: आजम खान के सियासी सफर पर इन वजहों से आया संकट! क्या पश्चिमी यूपी में सपा के खिलाफ चुनौती बने तमाम मुद्दे?


सत्ता के होते बड़े हिस्सेदार
मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि हर मजहब के लोग अपने मजहब के लिए काम करते हैं, तो हम अपने मजहब की हिफाजत क्यों न करें. समाज के साथ-साथ देश को भी धार्मिक लोगों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि, कभी किसी ने नहीं सुना होगा की तलबा ने सेना भर्ती को लेकर हुए बवाल में किसी ट्रेन में आग लगाई है. मदरसों और जमीयत का राजनीति से रत्ती भर वास्ता नहीं है. हमने देश की आजादी के बाद से खुद को अलग कर लिया था, अगर हम उस समय देश की राजनीति में हिस्सा लेते तो आज सत्ता के बड़े हिस्सेदार होते.


सर्वे की रिपोर्ट में दारूल उलूम को गैर मान्यता प्राप्त होने की बात पर मदनी ने कहा कि, 1866 में जब दारूल उलूम की बुनियाद रखी गई थी, तब यह तय किया गया था कि इसे चलाने में कभी भी सरकार से कोई मदद नहीं लेंगे और आज भी हम उसी बात पर कायम हैं. दीनी मदरीस का बोझ कौम उठा रही है और उठाती रहेगी, इसलिए हम सरकारी मदद नहीं चाहते हैं. सरकारी मदद के बिना भी हम हिमालय से ज्यादा मजबूत खड़े रहेंगे. मौलाना ने कहा कि मदरसों के सर्वे को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार का जो चेहरा देखने को मिला है वह अच्छा था, हमने जिस तरह से सर्वे के लिए बोला उन्होंने उसी तरह से सर्वे करवाया. मदरसों के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं, कोई भी आए-जाए.